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मोदी सरकार ने बिहार चुनाव से पहले वक्फ संशोधन बिल पर इसलिए लिया रिस्क, जेडीयू और टीडीपी ने रखी ये शर्तें!

मोदी सरकार ने 2 अप्रैल यानी बुधवार को वक्फ संशोधन बिल को संसद के पटल पर रखने का प्लान तैयार कर लिया है. इसके लिए भाजपा ने अपने सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी कर दिया है. सबसे बड़ा सवाल है कि भाजपा ने बिहार चुनाव से पहले इस संशोधन बिल को पास कराने के लिए जोखिम क्यों मोला और संसद में संख्याबल किसके साथ है?

Politics on Waqf Amendment Bill 2024
inkhbar News
  • April 1, 2025 8:27 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 weeks ago

मोदी सरकार ने 2 अप्रैल यानी बुधवार को वक्फ संशोधन बिल को संसद पटल पर रखने का प्लान तैयार कर लिया है. इस संशोधन विधेयक को पास कराने में कोई चूक न हो जाए इसलिए भाजपा ने अपने सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी कर दिया है. उससे पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष की तरफ से जमकर बयानबाजी हो रही है. यह बिल पिछले साल अगस्त में पेश करने के बाद जेपीसी को भेज दिया गया था. अब यह सुझावों और संसोधनों के साथ बुधवार को लोकसभा में आ रहा है.

मोदी सरकार ने क्यों लिया जोखिम

इस वाद विवाद के बीच दो सवाल उभर रहे हैं, पहला यह कि मोदी सरकार बिहार चुनाव से पहले इतना बड़ा कदम क्यों उठाने जा रही है. बिहार में मुस्लिमों का एक बड़ा वर्ग नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू के लिए वोट करता है. टीडीपी को भी मुस्लिम वोट बैंक खोने का डर रहता है. दूसरा अहम सवाल यह है कि नंबर गेम क्या है और किसका पलड़ा रहेगा भारी.

भाजपा का ये है प्लान

वक्फ संशोधन बिल कल दोपहर 12 बजे लोकसभा में पेश किया जाएगा. इसके लिए सत्ता पक्ष यानी भाजपा नीत एनडीए ने जबरदस्त तैयारी की है. भाजपा ने लोकसभा में उपस्थित रहने के लिए अपने सांसदों को व्हिप जारी किया है और चर्चा के लिए 8 घंटा निर्धारित किया गया है. जरूरत के मुताबिक इसे बढ़ाया भा जा सकता है. सबसे बड़ा सवाल है कि नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू क्या करेगा. बिहार में इसी साल चुनाव है और नीतीश कुमार को मुस्लिमों का भी समर्थन मिलता है. इस बात को लेकर पार्टी कशमकश में हैं.

जेडीयू ने रखी ये शर्त

पार्टी के दो बड़े नेता केंद्रीय मंत्री लल्लन सिंह और संजय झा ने इसको लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है. इन दोनों नेताओं ने कहा है कि जनता दल यू को किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं हैं. नीतीश कुमार ने 19 साल में मुस्लिमों के लिए बहुत काम किया है. उसका जो भी स्टैंड होगा कल सदन में पता चल जाएगा. मुसलमानों के साथ कभी गलत नहीं होने दिया गया. हम चाहते हैं कि रेट्रोस्पेक्टिव फॉर्मूला ना हो. जो पहले हो गया उसको ना छेड़ा जाए. गड़ा मुर्दा उखाड़ने पर बहुत विवाद होगा. बताते हैं कि शाह ने इस पर गौर करने का भरोसा दिया है.

सूत्रों के मुताबिक जनता दल यू ने सरकार से कहा है कि इस बिल में किसी भी प्रावधान को पीछे से न लागू किया जाए. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को पता है कि जेडीयू और टीडीपी को दिक्कत होगी लिहाजा आगे बढ़कर उनके सुझावों को मान लिया है. बिहार में इस साल के अंत में चुनाव है, भगवा पार्टी के नेताओं का मानना है कि इस बिल के पारित होने से उसको फायदा होगा न कि नुकसान.

टीडीपी की तीन शर्तें

एनडीए सरकार में भाजपा के लिए दूसरा सर्वाधिक महत्वपूर्ण दल टीडीपी है. जेडीयू और टीडीपी की बैसाखी पर मोदी सरकार टिकी हुई है. टीडीपी के सबसे बड़े नेता चंद्रबाबू नायडू ने भी अपना हलकारा सरकार के पास दौड़ाया और तीन शर्ते रखी. इस पर सरकार के अंदर काफी मंथन हुआ, शर्तों को मानने में सरकार को दिक्कत हो रही थी लेकिन अंत में तीनों शर्तें मान ली गई.

टीडीपी ने ‘वक्फ बाय यूजर’ से संबंधित प्रावधान में संशोधन का प्रस्ताव रखा था, जिसके अनुसार जो संपत्तियां, वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के लागू होने से पहले पंजीकृत हो चुकी हैं, वे वक्फ संपत्तियां बनी रहेंगी, जब तक कि संपत्ति विवादित न हो. दूसरा सुझाव यह आया कि वक्फ मामलों में कलेक्टर को अंतिम प्राधिकारी न माना जाए. तीसरा सुझाव यह है कि डिजिटल दस्तावेजों की समय-सीमा को बढ़ा दिया जाए. यदि ट्रिब्यूनल को देरी का उचित कारण संतोषजनक लगता है, तो वक्फ को डिजिटल दस्तावेज जमा करने के लिए अतिरिक्त 6 महीने का समय दिया जाएगा.

किसके पक्ष में संख्याबल

वर्तमान में लोकसभा में 542 सदस्य हैं, जिसमें बीजेपी के सबसे ज्यादा 240 सदस्य है. भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की बात करें तो पूरी संख्या 293 है. बहुमत के लिए जादुई संख्या 272 है इसलिए जेडीयू और टीडीपी के साथ होने के बाद मोदी सरकार को इस बिल को पास कराने में कोई दिक्कत नहीं होगी. दूसरी तरफ विपक्ष यानी इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस के 99 सदस्य हैं और उसके घटक दोलों को मिलाकर कुल संख्या 233 है. आजाद समाज पार्टी और शिरोमणि अकाली दल किसी के साथ नहीं हैं और न ही खुलकर किसी का समर्थन किया है.

राज्यसभा में कुल 236 सदस्य हैं जिसमें से अकेले बीजेपी के 98 सदस्य हैं जबकि एनडीए के सांसदों की संख्या 115 है. अगर छह मनोनीत सदस्यों को भी इसमें जोड़ दिया जाए तो यह संख्या 121 हो जाएगी. राज्यसभा में किसी भी विधेयक को पास कराने के लिए 119 सदस्य की जरूरत है. इस तरह दोनों सदनों में बहुमत एनडीए के पास है. यह बात जरूर है कि राज्यसभा में बहुमत से सिर्फ दो सदस्य ज्यादा है लिहाजा यहां पर थोड़ा जोखिम है लेकिन मोदी और शाह की जोड़ी ऐसे खतरों से खेलने में माहिर मानी जाती है.

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