नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने हाल ही में वक्फ से जुड़े संशोधित बिल को मंजूरी दी है। वक्फ एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘संरक्षित करना’। इस्लामी परंपरा में वक्फ संपत्ति को जनकल्याण के लिए दान कर दिया जाता है और इसका उपयोग धार्मिक, शैक्षणिक व सामाजिक कार्यों में किया जाता है।

वक्फ का इतिहास

इस्लाम के आगमन के साथ ही भारत में वक्फ की अवधारणा आई। ऐतिहासिक रूप से, 12वीं शताब्दी में मोहम्मद गौरी द्वारा मुल्तान की जामा मस्जिद के लिए दो गांव दान किए जाने को भारत में वक्फ की शुरुआत माना जाता है। इसके बाद दिल्ली सल्तनत और मुगल शासकों ने इसे बढ़ावा दिया। अकबर के शासनकाल में वक्फ संपत्तियों का अधिक औपचारिक और व्यवस्थित उपयोग शुरू हुआ। ब्रिटिश शासन के दौरान, 1913 में वक्फ को औपचारिक रूप दिया गया और 1923 में वक्फ एक्ट लाया गया। स्वतंत्रता के बाद, इसे अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के तहत रखा गया। वर्तमान में, भारतीय रेलवे और सेना के बाद वक्फ बोर्ड देश का तीसरा सबसे बड़ा जमींदार माना जाता है।

वक्फ की मौजूदा स्थिति

इतिहासकार इरफान हबीब के अनुसार, वक्फ संपत्तियों का सही प्रबंधन न होने से कई जगहों पर इनका दुरुपयोग हुआ है। मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली का कहना है कि वक्फ एक व्यक्तिगत धार्मिक परंपरा रही है और इसे गलत तरीके से पेश किया जाता है। सरकार के नए संशोधनों को लेकर कुछ हलकों में चिंता जताई जा रही है कि कहीं इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण प्राप्त करना तो नहीं। हाल ही में वक्फ बोर्ड के प्रशासन को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए सुधारों की मांग तेज हुई है।

भविष्य की राह

विशेषज्ञों का मानना है कि वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी प्रशासनिक तंत्र आवश्यक है। सरकार और समुदाय के बीच संतुलन बनाए रखना इस ऐतिहासिक परंपरा की मूल भावना को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी होगा।

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