नई दिल्ली। मणिपुर में निर्वस्त्र होकर महिलाओं को घुमाने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। बता दें, दो पीड़ित महिलाओं ने मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर कर इंसाफ की मांग की है। मामले को लेकर सीजेआई ने क्या कहा ? सीजेआई ने राज्य सरकार पर सवाल खड़े करते […]
नई दिल्ली। मणिपुर में निर्वस्त्र होकर महिलाओं को घुमाने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। बता दें, दो पीड़ित महिलाओं ने मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर कर इंसाफ की मांग की है।
सीजेआई ने राज्य सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि यह घटना 4 मई को हुई थी और जीरो एफआईआर को 18 मई को दर्ज किया गया। पुलिस 14 दिनों तक क्या कर रही थी ? मणिपुर में दो महिलाओं को नग्न घुमाने वाला वीडियो कोई अकेली घटना नहीं है, ऐसे कई उदाहरण होंगे। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इन तीन महिलाओं के साथ न्याय हो।
सीजेआई ने कहा, आपने बताया कि पिछले तीन महीनों में हिंसा के संबंध में अभी तक 6000 एफआईआर दर्ज हुई हैं। इसमें विभाजन कितना है ? कितने में महिलाओं के खिलाफ अपराध शामिल हैं? कितने में हत्या, आगजनी, घरों को जलाने जैसे अन्य गंभीर अपराध शामिल हैं? व्यक्ति के खिलाफ अपराधों के बीच विभाजन क्या है ?
इसके अलावा राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने घटना के बाद देरी से हुई एफआईआर का जवाब देते हुए कहा कि 18 मई वह तारीख थी जब घटना को संज्ञान में लाया गया था। वीडियो के सामने आने के बाद 24 घंटे के भीतर सात आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके अलावा मामले को लेकर राज्य में कुल 6000 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं।
वहीं दो पीड़ित महिलाओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल का कहना है कि पीड़ित महिलाएं सीबीआई से जांच कराने के अलावा मामले को राज्य से बाहर ट्रांसफर करने का विरोध कर रही है। इसके अलावा यह स्पष्ट है कि पुलिस हिंसा करने वालों का सहयोग कर रही थी। उन्होंने ही महिलाओं को भीड़ में धकेला था। अगर इस मामले में किसी तरह के पक्षपात का कोई तत्व है, तो जांच ऐसी एजेंसी से होनी चाहिए जिस पर इन महिलाओं को विश्वास हो।
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