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उपराष्ट्रपति मार्गरेट अल्वा का समर्थन करेगी आम आदमी पार्टी

नई दिल्ली, आम आदमी पार्टी ने उप राष्ट्रपति के चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा का समर्थन करने का ऐलान कर दिया है. पार्टी इस बार इस चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार का समर्थन करने वाली है, बता दें एनडीए की ओर से जगदीप धनकड़ को मैदान में उतारा गया है. मायावती दे रही धनकड़ […]

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margaret alva
  • August 3, 2022 4:54 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली, आम आदमी पार्टी ने उप राष्ट्रपति के चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा का समर्थन करने का ऐलान कर दिया है. पार्टी इस बार इस चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार का समर्थन करने वाली है, बता दें एनडीए की ओर से जगदीप धनकड़ को मैदान में उतारा गया है.

मायावती दे रही धनकड़ का साथ

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने उपराष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को समर्थन देने का ऐलान किया है, इससे पहले मायावती ने राष्ट्रपति चुनावों में आदिवासी महिला उम्मीदवार के नाम पर एनडीए को वोट किया था, अब मायावती के इस फैसले के भी कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.

भाजपा उम्मीदवार का समर्थन करना मजबूरी?

दरअसल बसपा के इतिहास को देखें तो दिल्ली के तख्त से मायावती का रवैया नरमी भरा रहा है फिर चाहे सरकार कांग्रेस की रही हो या फिर भाजपा की. ऐसे में सवाल ये है कि मायावती की भाजपा को समर्थन देने की ये घोषणाएं किसी राजनीतिक लेन-देन का ही हिस्सा तो नहीं, चूंकि मायावती पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लग चुके हैं और बीते कई सालों से मायावती ईडी और सीबीआई की रडार पर हैं.

मायावती ने हमेशा बिठाया दिल्ली से तालमेल

मायावती का जन्म भले ही गरीब परिवार में हुआ हो लेकिन अब उनकी गिनती रईस नेताओं में की जाती है. मायावती सत्ता में रही हो या फिर विपक्ष में लेकिन दिल्ली की हुकूमत के साथ तालमेल बिठाकर काम करना हमेशा से उनकी मजबूरी रही है. केंद्र से नरम रवैए के चलते मायावती के सर से सीबीआई और ईडी का भूत दूर रहता है, ऐसे में मायावती का एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनकड़ का समर्थन करना हो लाज़मी है.

मुस्लिम+दलित+जाट समीकरण

इस मजबूरी के अलावा सियासी रूप से समझें तो भाजपा के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जनदीप धनखड़ का समर्थन करके मायावती ने लोकसभा चुनाव से पहले मुस्लिम, दलित और जाट समीकरण को दोबारा मजबूत बनाने की कोशिश की है, साथ ही आगमी राजस्थान चुनाव में भी बसपा इसका फायदा उठाने की कोशिश करेगी. वहीं, मायावती अपने इस कदम से सपा और रालोद गठबंधन के गणित को बेअसर करना चाहती हैं.

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