नई दिल्ली। अजमेर शरीफ यानी ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर बवाल बढ़ता जा रहा है। दरअसल स्थानीय अदालत में एक याचिका दाखिल की गई, जिसमें कहा गया कि यह दरगाह नहीं बल्कि शिव मंदिर है। कोर्ट ने याचिका को मंजूर कर लिया है और मुस्लिम पक्ष को नोटिस जारी कर दिया। नोटिस जारी होने के बाद से बड़ा बवाल शुरू हो गया है। कांग्रेस ने इस मामले में मुस्लिम पक्ष को अपना समर्थन दिया है।
राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने अजमेर दरगाह परिसर में महादेव का मंदिर होने के दावे पर कहा कि यह सब भाजपा, मोदी और आरएसएस की चाल है। 15 अगस्त 1947 तक जो भी धार्मिक स्थल जहां बने हैं, वहीं रहना चाहिए , इसे लेकर कानून बना हुआ है। अब इस पर सवाल उठाना गलत है। अजमेर दरगाह 800 साल पुरानी है, दुनियाभर के लोग यहां आते हैं, इसमें हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई सभी शामिल हैं।
गहलोत ने आगे ये भी कहा कि किसी भी पार्टी के प्रधानमंत्री रहे हो। सबने वहाँ पर चादर चढ़ाई है। पीएम मोदी भी वहाँ चादर चढ़ाते हैं। चादर चढ़ाने के अपने अलग मायने है। आप एक तरफ चादर भी चढ़ा रहे हैं और दूसरी ओर कोर्ट में केस भी कर रहे। लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा होती है, क्या सोच रहे होंगे? हर धर्म में थोड़ा बहुत भेदभाव तो होता ही है लेकिन आप इतनी घृणा पैदा कर देंगे तो विकास कैसे होगा?
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