लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह और पूर्व मंत्री स्वाति सिंह का तलाक हो गाय है। फैमिली कोर्ट लखनऊ के अपर प्रधान न्यायाधीश देवेन्द्र नाथ सिंह ने फैसला सुनाते हुए तलाक पर मुहर लगा दी है। बता दें, मंत्री दयाशंकर सिंह और स्वाति सिंह का विवाह 22 साल पहले 18 मई 2001 को हुआ था। हालांकि पिछले कई वर्षां से दयाशंकर और स्वाति अलग-अलग रह रहे थे।
बता दें, दयाशंकर सिंह और स्वाति सिंह के बीच रिश्ते की बुनियाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से पड़ी थी। दोनों ही इस संगठन में काफी ज्यादा सक्रिय थे। बताया जाता है कि स्वाति सिंह इलाहाबाद में एमबीए की पढ़ाई कर रही थी और दयाशंकर सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में सक्रिय थे। दोनों की पहली मुलाकात परिषद के कार्यक्रम हुई थी। जिसके बाद दोनों के रिश्ते में प्यार बढ़ा और दोनों एक दूसरे के करीब आने लगे।
इसके कुछ समय बाद ही दोनों विवाह के बंधन में बंध गए। बाद में स्वाति सिंह ने लखनऊ विवि में पीएचडी में पंजीकरण कराया इसके साथ ही वह यहां पढ़ाने भी लगी। उस समय दयाशंकर सिंह से जुड़े छात्रों और विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं के बीच भी भैया-भाभी का संबंध काफी मधुर था। लेकिन बाद में दोनों के बीच कई बार झगड़ों की बात सामने आने लगी।
दयाशंकर और स्वाति के बीच दूरियां उस समय आई जब दयाशंकर सिंह ने बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ विवादित बयान दिया था। हालांकि स्वाती ने तलाक की अर्जी 2012 में ही दे दी थी। इसके बाद 2017 में भी विधानसभा चुनाव में भाजपा ने दयाशंकर की जगह स्वाति को टिकट दे दिया था। इन चुनावों में स्वाति विधायक बनीं और फिर योगी सरकार में मंत्री भी चुनी गई। उसके बाद फिर दोनों के रिश्ते बेहद खराब हुए। हालांकि अगले चुनावों में बीजेपी ने स्वाति की जगह दयाशंकर को बलिया से टिकट दिया।
इस दौरान दयाशंकर को कैबिनेट स्तर का मंत्री भी बना दिया गया। इस दौरान दोनों के बीच घरेलू हिंसा की भी खबरें आती रही, बाद में दयाशंकर के मंत्री बन जाने के बाद एक बात तो साफ हो गई की अब दोनों के बीच कोई रिश्ता नहीं हैं। इसके बाद स्वाति ने इस रिश्ते को खत्म करने के लिए तलाक की अर्जी दी। जिसे अब अदालत ने मान लिया है।
बता दें, स्वाति सिंह ने पारिवारिक विवादों के चलते वर्ष 2012 में दयाशंकर सिंह से तलाक के लिए लखनऊ में पारिवारिक न्यायालय में मुकदमा दाखिल किया था। जिसके बाद मामले पर अदालत ने दयाशंकर सिंह को अपना पक्ष रखने और आपत्ति दाखिल करने के लिए नोटिस भी जारी किया था। मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही साल 2017 में भाजपा ने स्वाति सिंह को विधानसभा चुनाव का टिकट दिया था।
जिसके बाद स्वाती चुनावी जीतीं और उन्हें सरकार में मंत्री पद भी मिला। इसके बाद वे अदालत में सुनवाई के दौरान हाजिर नहीं हुई। स्वाति द्वारा कोर्ट में लगातार गैर हाजिर रहने के बद अपर प्रधान न्यायाधीश प्रथम ने वर्ष 2018 में उनके मुकदमे को पैरवी के अभाव में खारिज कर दिया गया था। इसके बाद स्वाति सिंह ने मार्च 2022 में अदालत में अर्जी देकर केस दोबारा शुरू करने की अपील की। हालांकि उस अर्जी को स्वाति ने वापस लेते हुए एक बार फिर नई याचिका दायर की है।
बता दें, लंबे समय से अलग रहने के चलते स्वाति सिंह ने पारिवारिक न्यायालय में पिछले साल ही तलाक की अपील को दायर करते हुए साक्ष्य प्रस्तुत किए थे जिसमें उन्होंने कहा था कि बीचे चार वर्षों से पति से अलग रह रही हैं। दोनों के बीच कोई वैवाहिक रिश्ता नहीं है। प्रतिवादी के अदालत में उपस्थित ना होने पर कोर्ट ने वाद की कार्यवाही को एक पक्षीय रूप से सुना। इसमें स्वाति के साक्ष्यों से सहमत होने के बाद तलाक को मंजूरी प्रदान की है।
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