jallikattu: जल्लीकट्टू खेल पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, जानिए क्या कहा

नई दिल्ली। तमिलनाडु में जल्लीकट्टू खेल की परंपरा पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। बता दें, शीर्ष अदालत की संवैधानिक बेंच ने इस खेल को तमिलनाडु की संस्कृति और विरासत का हिस्सा बताते हुए, इसमें कुछ भी गलत ना होने की बात की है।

सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से किया इनकार

बता दें, जल्लीकट्टू खेल के तहत बैलों की लड़ाई कराई जाती है और ये खेल तमिलनाडु के अलावा महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में काफी ज्यादा खेला जाता है। जिसके कारण कोर्ट ने तमिलनाडु के अलावा महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी होने वाले इस तरह के परंपरागत खेलों पर रोक लगाने से इनकार किया है। जल्लीकट्टू जिसे इरुथाझुवुथल भी कहा जाता है, इसका आयोजन पोंगल में फसलों की कटाई के दौरान किया जाता है।

पांच जजों पीठ ने सुनाया फैसला

ये फैसला सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस केएम जोसेफ के नेतृत्व वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने सुनाया है। पांच जजों की पीठ में जस्टिस केएम जोसेफ के अलावा जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार भी शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तमिलनाडु के कानून मंत्री एस रघुपति ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को ऐतिहासिक बताया और कहा कि इस फैसले से हमारी परंपराओं और संस्कृतिक की रक्षा हुई है।

बता दें, महाराष्ट्र और कर्नाटक में बैल या फिर भैंसों की रेस को लेकर सुप्रीम कोर्ट के ही 2014 के एक फैसले के चलते रोक लगी हुई थी। अदालत ने तब कहा था कि ये खेल पशुओं के खिलाफ क्रूरता करने वाला हैं।

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