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Supreme Court Patanjali: सुप्रीम कोर्ट की पतंजलि को फटकार, भ्रामक करने वाले विज्ञापन बंद करें वरना लगेगा जुर्माना

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि(Supreme Court Patanjali) आयुर्वेद को फटकार लगाई। यह फटकार आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन प्रकाशित करने पर जारी की गई है। भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने याचिका दायर की थी.

जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा- पतंजलि आयुर्वेद को झूठे और भ्रामक दावों वाले सभी विज्ञापनों पर तुरंत रोक लगानी होगी. अदालत ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगी और किसी उत्पाद के प्रत्येक झूठे दावे के लिए 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगा सकती है।

समाधान ढूंढना चाहती है कोर्ट

इसके बाद कोर्ट ने निर्देश दिया कि पतंजलि(Supreme Court Patanjali) आयुर्वेद भविष्य में ऐसा कोई भी विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि प्रेस में इस तरह के आकस्मिक बयान न दिए जाएं. पीठ ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को ‘एलोपैथी बनाम आयुर्वेद’ की बहस में नहीं बदलना चाहती बल्कि भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की समस्या का वास्तविक समाधान ढूंढना चाहती है।

अगली सुनवाई अगले साल

पीठ ने भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा कि केंद्र सरकार को समस्या से निपटने के लिए व्यावहारिक समाधान ढूंढना होगा। कोर्ट ने सरकार से सलाह-मशवरा कर कोर्ट में आने को कहा है. इस मामले पर अगली सुनवाई अगले साल 5 फरवरी 2024 को होगी.

सुप्रीम कोर्ट से पिछले साल भी लगी फटकार

पिछले साल भी कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए एलोपैथी जैसी आधुनिक चिकित्सा पद्धति के खिलाफ बयान देने पर बाबा रामदेव को फटकार लगाई थी.
भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने तब कहा था, ‘बाबा रामदेव अपनी चिकित्सा प्रणाली को लोकप्रिय बना सकते हैं, लेकिन उन्हें अन्य प्रणालियों की आलोचना नहीं करनी चाहिए।’ हम सब उनका सम्मान करते हैं क्योंकि उन्होंने जन- जन तक योग को पहुंचाया है.

कोविड की दवा पर भी घिरी थी पतंजलि

बाबा रामदेव ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वासारि से कोरोना का इलाज हो सकता है. इस दावे के बाद आयुष मंत्रालय की ओर से कंपनी को फटकार लगाई गई और इसका प्रमोशन तुरंत रोकने को कहा गया.

साल 2015 में इंस्टेंट आटा नूडल्स लॉन्च करने से पहले कंपनी ने फूड सेफ्टी एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) से लाइसेंस नहीं लिया था। इसके बाद पतंजलि को खाद्य सुरक्षा नियम तोड़ने पर कानूनी नोटिस का सामना करना पड़ा।
2015 में कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट ने पतंजलि के आंवला जूस को पीने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था। इसके बाद सीएसडी ने अपने सभी स्टोर्स से आंवला जूस हटा दिया था. 2015 में ही हरिद्वार में लोगों ने पतंजलि घी में फंगस और अशुद्धियों की शिकायत की थी.
2018 में भी FSSAI ने औषधीय उत्पाद गिलोय घनवटी पर एक महीने आगे की मैन्युफैक्चरिंग डेट लिखने पर पतंजलि को फटकार लगाई थी.
कोरोना के अलावा रामदेव बाबा योग और पतंजलि के उत्पादों से कैंसर, एड्स और समलैंगिकता का इलाज करने के दावों को लेकर भी कई बार विवादों में रह चुके हैं।

यह भी पढ़े: National Herald Case: नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी की बड़ी कार्रवाई, जब्त की AJL और यंग इंडियन की 750 करोड़ की संपत्ति

Sachin Kumar

मैं सचिन कुमार, इनखबर टीम में कंटेंट राइटर की पोस्ट पर हूं। मुझे पोलिटिक्ल और स्पोर्टस की खबरें लिखने में काफी रुची है।

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