चंद्रशेखर ने बताया कि, वह घटना वाले दिन दिल्ली में एक कार्यकर्ता की माताजी के निधन के कार्यक्रम में शामिल होकर वापस लौट रहे थे। इसी दौरान देवबंद में मुझ पर ये हमला हुआ। घटना के समय मैं कार में बैठकर फोन चला रहा था। इसी दौरान अचानक एक गोली मुझ पर चली और गाड़ी के शीशे से टकराई, इससे शीशा टूट गया, अगले 20 सेकेंड में 3 से 4 राउंड फायरिंग के हुए। जिस गाड़ी से ये गोली चल रही थी, वह हमारे पीछे ही थी।
इसके बाद हमलावरों की गाड़ी करीब 5 से 10 मीटर की दूरी पर खड़ी हो गई और उससे एक लड़का निकला जिसने मुझ पर फायरिंग करना शुरू कर दिया। इस बीच मेरा ड्राइवर मनीष गाड़ी को आगे बढ़ाता रहा और कुछ दूरी में जाकर उसने यू टर्न ले लिया। लेकिन जब हमलावरों को पता चला कि मैं अभी भी जिंदा हूं तो उन्होंने मुझ पर फिर से फायरिंग करना शुरू कर दिया।
बाद मेंं मनीष ने गाड़ी को एक गांव में जाकर रोका और वहां से पुलिस अधिकारियों को फोन किया। इस सारे घटनाक्रम में एक गोली मुझे लग गई थी जिसके बाद मुझे अस्पताल ले जाया गया। चंद्रशेखर ने बताया कि आरोपियों ने जो पहली गोली चलाई थी, वो मेरी कनपटी के पास से होकर निकली थी। इसके बाद दूसरी गोली मुझे लगी और तीसरी गोली से कार का अगला शीशा टूट गया था।
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