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कनाडा में खालिस्तान के खिलाफ बोलना पड़ा भारी, अब चुनाव नहीं लड़ पाएंगे हिंदू सांसद चंद्र आर्य

खालिस्तानी गतिविधियों के खिलाफ मुखर रहे चंद्र आर्य को इस फैसले से बड़ा झटका लगा है. 62 वर्षीय आर्य जो तीन बार सांसद रह चुके हैं . आर्य ने खुलासा किया कि पार्टी ने उनके चुनाव लड़ने के अधिकार को छीन लिया है. इसे कनाडा में खालिस्तान समर्थन और हिंदू सांसद की आलोचनात्मक आवाज को दबाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

Canada Politics
  • March 21, 2025 4:31 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 days ago

Canada Politics: कनाडा की सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी ने अपने हिंदू सांसद चंद्र आर्य के लिए आगामी संसदीय चुनाव में नेपियन सीट से नामांकन को रद्द कर दिया है. खालिस्तानी गतिविधियों के खिलाफ मुखर रहे चंद्र आर्य को इस फैसले से बड़ा झटका लगा है. 62 वर्षीय आर्य जो तीन बार सांसद रह चुके हैं . आर्य ने खुलासा किया कि पार्टी ने उनके चुनाव लड़ने के अधिकार को छीन लिया है. इसे कनाडा में खालिस्तान समर्थन और हिंदू सांसद की आलोचनात्मक आवाज को दबाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

चंद्र आर्य का खालिस्तान विरोध

चंद्र आर्य 2015 से ओटावा की नेपियन सीट से सांसद हैं और कनाडा में हिंदू समुदाय के एक प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे हैं. वह लगातार खालिस्तानी extremism के खिलाफ बोलते रहे हैं और हिंदू-कनाडाई लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताते आए हैं. उनकी यह बेबाकी ट्रूडो सरकार और लिबरल पार्टी के कुछ नेताओं को असहज करती रही है जिन पर खालिस्तान समर्थकों को संरक्षण देने के आरोप लगते रहे हैं. आर्य ने कई मौकों पर खालिस्तानी तत्वों द्वारा मंदिरों पर हमले और हिंदुओं को धमकियों की निंदा की थी.

लिबरल पार्टी का चौंकाने वाला फैसला

लिबरल पार्टी के राष्ट्रीय अभियान सह अध्यक्ष एंड्रयू बेवन ने एक पत्र के जरिए आर्य को सूचित किया कि उनकी उम्मीदवारी को रद्द किया जा रहा है. चंद्र आर्य ने इस पत्र को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए अपनी निराशा जाहिर की. पत्र में कहा गया कि पार्टी की ‘ग्रीन लाइट कमेटी’ को मिली नई जानकारी के आधार पर यह निर्णय लिया गया. हैरानी की बात यह है कि यह फैसला लगभग दो महीने पहले लिया गया था जब आर्य ने जस्टिन ट्रूडो के बाद लिबरल पार्टी की नेतृत्व दौड़ में हिस्सा लेने की इच्छा जताई थी.

कनाडा में खालिस्तान प्रेम फिर उजागर

यह घटना कनाडा में खालिस्तान समर्थन के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला रही है. चंद्र आर्य जैसे नेताओं का मानना रहा है कि खालिस्तानी तत्वों को राजनीतिक संरक्षण मिलने से हिंदू और सिख समुदायों के बीच तनाव बढ़ रहा है. आर्य ने पहले भी ट्रूडो सरकार से इस समस्या पर ठोस कदम उठाने की मांग की थी लेकिन उनकी आवाज को दबाने का यह कदम सवाल खड़े कर रहा है. क्या खालिस्तान की आलोचना करना अब कनाडा की सत्तारूढ़ पार्टी में राजनीतिक करियर के लिए खतरा बन गया है?

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