नई दिल्ली. बांग्लादेश में सियासी उठापठक थमने का नाम नहीं ले रही. शेख हसीना के बेटे और सलाहकार साजिब वाजेय जॉय ने यह दावा करके सनसनी मचा दी है कि उनकी मां ने पीएम पद से इस्तीफा दिया ही नही. उन्हें प्रदर्शकारियों ने इस्तीफा देने का मौका नहीं दिया था. उधर शनिवार को भी बड़ी […]
नई दिल्ली. बांग्लादेश में सियासी उठापठक थमने का नाम नहीं ले रही. शेख हसीना के बेटे और सलाहकार साजिब वाजेय जॉय ने यह दावा करके सनसनी मचा दी है कि उनकी मां ने पीएम पद से इस्तीफा दिया ही नही. उन्हें प्रदर्शकारियों ने इस्तीफा देने का मौका नहीं दिया था. उधर शनिवार को भी बड़ी उठापटक हुई और मुख्य न्यायधीश ओबैदुल सहन सहित सात न्यायधीशों का प्रदर्शनकारियों ने जबरन इस्तीफा ले लिया. उन्हें भनक लगी थी कि तख्तापलट और मोहम्मद युनूस के नेतृत्व में गठित अंतरिम सरकार के अस्तित्व को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाने वाली है.
बांग्लादेश में 5 अगस्त को हुई तख्तापलट को लेकर रोज नये खुलासे हो रहे हैं. 15 साल तक लगातार पीएम रहीं शेख हसीना के बेटे साजिब वाजेय जॉय ने दावा किया है कि शेख हसीना ने पीएम पद से इस्तीफा नहीं दिया है. उन्हें राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंपने का मौका ही नहीं मिला और देश छोड़ना पड़ गया था. जबकि सेनाध्यक्ष वकार उज जमा ने ऐलान किया था कि शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है. अब अंतरिम सरकार का गठन होगा और पीड़ितों को न्याय दिलाया जाएगा.
आपको बता दें कि साजिब वाजेय जॉय के दावे से कानूनी रूप से उलझन पैदा हो गई है. सेना प्रमुख के बयान के बाद शेख हसीना ने कोई बयान नहीं दिया था लिहाजा विशेषज्ञ भी मानते हैं कि एक उलझन बढ़ गई है. संसद भंग हो गई है और अंतरिम सरकार का गठन हो गया है. यहां तक कि शेख हसीना जिस भारत में शरण ली हुई हैं वहां की मोदी सरकार ने अंतरिम सरकार को बधाई भी दे दी है. विशेषज्ञ मानते हैं कि बेशक तख्तापलट हो गया है लेकिन ये लड़ाई अभी लंबी चलेगी. कई कानूनी पेंच हैं, शेख हसीना के सामने यह रास्ता खुला हुआ है कि जैसे ही देश में चुनाव का ऐलान हो उनकी पार्टी आवामी लीग ताल ठोककर मैदान में आ डटे.
उधर शनिवार को बांग्लादेश में एक और नया मोड़ आया और प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट उसके न्याधीशों को जलाने की धमकी देकर मुख्य न्यायधीश ओबैदुल सहन सहित सात न्यायधीशों का इस्तीफा ले लिया. उन्हें इस बात का डर था कि कि तख्तापलट और अंतरिम सरकार के गठन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है और कोर्ट अंतरिम सरकार के गठन को अवैध घोषित कर सकता है.
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