जयपुर। कांग्रेस नेता सचिन पायलट दिल्ली को जाने के लिए अपने आवास से निकल चुके हैं। बता दें, कल सचिन पायलट ने राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ जयपुर में एक दिन का अनशन किया था। इस बीच सचिन पायलट के दिल्ली दौरे से सियासी अटकलें तेज हो […]
जयपुर। कांग्रेस नेता सचिन पायलट दिल्ली को जाने के लिए अपने आवास से निकल चुके हैं। बता दें, कल सचिन पायलट ने राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ जयपुर में एक दिन का अनशन किया था। इस बीच सचिन पायलट के दिल्ली दौरे से सियासी अटकलें तेज हो गई है। बता दें, कांग्रेस पार्टी ने पायलट के अनशन को पार्टी गतिविधि के खिलाफ माना था। जिसके बाद उन्हें दिल्ली बुलाया गया है। हालांकि सचिन पायलट की मुलाकात दिल्ली में किस नेता से होगी इसकी कोई जानकारी नहीं है।
बता दें, सचिन पायलट ने 11 अप्रैल को राजधानी जयपुर के शहीद स्मारक पर अपने समर्थकों के साथ मौन धारण कर अनशन किया था, ये अनशन शाम 4 बजे तक चला था। इस दौरान अनशन होने के कारण कांग्रेस के कई नेता सचिन पायलट से नाराज भी हुए। वहीं प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रधावा ने पायलट के इस कदम को पार्टी विरोधी करार दिया था।
सचिन पायलट ने भाजपा सरकार में वसुंधरा राजे के कार्यकाल में हुए भ्रष्ट्राचार को लेकर किसी तरह की कार्रवाई ना किए जाने से नाराज है। सचिन पायलच का आरोप है कि पार्टी के सत्ता में आने के बाद गहलोत द्वारा वादा किया गया था कि भ्रष्ट्रचारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे, लेकिन सरकार के पास पर्याप्त सबूत होने के बाद भी अभी तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि भले ही पायलट वसुंधरा राजे के खिलाफ जांच कराने की मांग कर रहे हो लेकिन इसके जरिए वही अशोक गहलोत पर निशाना साध रहे हैं।
बता दें, सचिन पायलट और अशोक गहलोत दोनों ही पार्टियों के लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है। जहां गहलोत पार्टी का वर्तमान है वहीं पायलट भविष्य ऐसे में पार्टी किसी एक को चुनने की स्थिति में नहीं है और एक-एक कदम फूंक- फूंक कर रख रही है। जहां पार्टी पिछले चार सालों से इस संकट को टाल रही है। वहीं सचिन पायलट इस बार पूरी तरह से आरपार के मूड में है। बता दें, राजस्थान विधानसभा चुनावों में अब केवल 6 महीने बचे हुए ऐसे में देखना होगा पायलट का ये अनशन पार्टी के अंदर कितना असर डाल सकता है, और इसके द्वारा गहलोत को अपनी कुर्सी बचाने के लिए किस तरह की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।