अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ ने दुनिया भर में कोहराम मचा रखा है. बुधवार रात उन्होंने करीब 60 देशों पर नये टैरिफ की घोषणा की थी. इसका नतीजा यह हुआ है कि अमेरिकी शेयर बाजार धड़ाम हो गया. एसएंडपी, नैस्डेक, वॉल स्ट्रीट एवं डाउ जॉन्स सभी पानी मांगते दिखाई दिये. वॉल स्ट्रीट में भारी बिकवाली देखने को मिली. शुक्रवार यानी आज भारतीय बाजार पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है. गुरुवार को भी भारतीय बाजार में कोहराम दिखा था. फिलहाल भारत ने वेट एंड वॉच की नीति अपना रखी है. इस बीच आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि ट्रंप का टैरिफ दांव सेल्फ गोल साबित हो सकता है.
शेयर बाजार में कोहराम
जब भी नैस्डेक गिरता है, तब भारत के टेक शेयरों में गिरावट होती है. इससे पहले गुरुवार को सेंसेक्स 450 अंकों तक नीचे चला गया. दूसरी ओर निफ्टी भी 180 से ज्यादा अंकों तक टूटा. ट्रंप ने बेशक अपने एक्सपर्ट्स से बातचीत करने के बाद इतना बड़ा फैसला किया लेकिन उनके इस कदम से दुनिया भर में जो कोहराम मचा है उसकी जद में अमेरिका भी आएगा और यह ट्रंप के लिए सेल्फ गोल साबित हो सकता है.आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का भी मानना है कि ट्रंप ने 60 देशों पर जो रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया है यह उन्हीं पर भारी पड़ सकता है.
रघुराम राजन बोले ट्रंप का दांव सेल्फ गोल
शिकागो बूथ बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर रघुराम राजन ने कहा कि रेसिप्रोकल टैरिफ का भारत पर कम असर पड़ेगा. वह मानते है कि ट्रंप प्रशासन का यह कदम उन्हीं पर उल्टा पड़ सकता है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है. इसके पीछे तर्क यह है कि टैरिफ लगाने से अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ेंगी, नतीजतन डिमांड में कमी आएगी और आर्थिक वृद्धि दर प्रभावित होगी. जहां तक भारत की बात है अमेरिकी शुल्क नीति से निर्यात मांग घटेगी, जिससे कुछ सेक्टर्स प्रभावित हो सकते हैं. चूंकि अमेरिका ने यह शुल्क कई देशों पर एक साथ लगाया है और अकेले भारत को टारगेट नहीं किया है इसलिए भारत को प्रतिस्पर्धा में फायदा मिल सकता है.
भारत पर कम असर पड़ेगा
राजन के मुताबिक, भारत का निर्यात कम हो सकता है लेकिन घरेलू आपूर्ति बढ़ेगी, जिससे महंगाई पर बहुत बड़ा असर नहीं पड़ेगा. भारत को अपनी नीतियो में थोड़ा बदलाव कर चीन, यूरोप, आसियान और अफ्रीकी देशों के साथ व्यापारिक संबंध बढ़ाना चाहिए.रघुराम राजन का सुझाव है कि भारत को अपना व्यापार शुल्क घटाना चाहिए ताकि वह वैश्विक प्रतिस्पर्धा में फिट बैठ सके. जैसे जैसे भारत अपना शुल्क प्रतिस्पर्धात्मक बनाकर आगे बढ़ेगा, उसे लाभ मिलेगा. इसके साथ ही भारत को सार्क देशों में मजबूत व्यापारिक साझेदारी बनाने की जरूरत है.
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