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Pakistan Army crisis: भारत में हमेशा फैलाया आतंक, बलूचों ने घुटने पर ला दिया, क्या अब जागी जनरल मुनीर की समझ?

पाकिस्तान की सेना इन दिनों अभूतपूर्व संकट से जूझ रही है. बलूच विद्रोहियों और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के लगातार हमलों ने सेना के भीतर डर और असहायता का माहौल पैदा कर दिया है.

टीटीपी हमला
  • March 19, 2025 6:28 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 day ago

General Aseem Munir Statement: पाकिस्तान की सेना इन दिनों अभूतपूर्व संकट से जूझ रही है. बलूच विद्रोहियों और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के लगातार हमलों ने सेना के भीतर डर और असहायता का माहौल पैदा कर दिया है. हाल ही में सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने देश की नाजुक स्थिति पर अपनी चिंता जाहिर की और शासन की नाकामी को उजागर किया.

बलूच विद्रोहियों का आतंक

बलूचिस्तान में विद्रोहियों ने अपनी ताकत का जोरदार प्रदर्शन किया है. हाल ही में जफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाईजैक करने की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. इस हमले ने न केवल सेना की तैयारियों पर सवाल उठाए बल्कि यह भी दिखाया कि बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) अब पहले से कहीं अधिक संगठित और निडर हो चुकी है. जनरल मुनीर का डर इस घटना के ठीक बाद सामने आया, जब उन्होंने कहा ‘हम कब तक अपने शहीदों के खून से शासन की असफलताओं को ढंकते रहेंगे?’ यह बयान शहबाज शरीफ सरकार की कमजोरियों की ओर साफ इशारा करता है.

कट्टरपंथ पर सख्त रुख

जनरल मुनीर ने कट्टरपंथ और चरमपंथी विचारधारा पर भी कड़ा रुख अपनाया. उन्होंने धर्म गुरुओं से अपील की कि वे इस्लाम की सही शिक्षाओं को जनता तक पहुंचाएं और आतंकी संगठनों की गलत सोच को बेनकाब करें. उनका कहना था ‘जब तक राजनीतिक और निजी हित देशहित से ऊपर रहेंगे तब तक देश की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित नहीं हो सकती.’ यह बयान उनकी उस सोच को दर्शाता है जो पाकिस्तान को एक हार्ड स्टेट के रूप में देखना चाहती है. जहां कानून का सख्ती से पालन हो और आतंकवाद को जड़ से खत्म किया जाए.

सेना में डर का माहौल

बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में बढ़ते खतरे ने सेना के अधिकारियों को परेशान कर दिया है. फ्रंटियर कोर जैसी खतरनाक पोस्टिंग को अब डेथ पोस्टिंग कहा जाने लगा है. इसके विपरीत भारत के साथ नियंत्रण रेखा (LOC) पर 2021 से चल रहा सीजफायर इसे सबसे सुरक्षित जगह बना रहा है. अधिकारी अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर अपने बच्चों को LOC पर तैनात कराने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वे बलूच विद्रोहियों के निशाने से बच सकें.

युवा अधिकारियों को मोर्चे पर धकेलने की रणनीति

सेना ने अब 80 युवा अधिकारियों को बलूच विद्रोहियों और टीटीपी से निपटने के लिए तैयार किया है. इनमें ज्यादातर लेफ्टिनेंट और मेजर रैंक के अधिकारी शामिल हैं. हालांकि यह कदम वरिष्ठ अधिकारियों के जोखिम से बचने की मानसिकता को भी उजागर करता है. बलूचिस्तान में हाल के हमलों में कई युवा अधिकारियों की मौत ने सेना में दहशत को और बढ़ा दिया है.

जनरल मुनीर का बयान

जनरल मुनीर का बयान इस ओर इशारा करता है कि सेना को अब अपनी पुरानी रणनीतियों की कमियां समझ आने लगी हैं. आतंक फैलाने की नीति अब उलटी पड़ रही है. क्योंकि बलूच विद्रोही और टीटीपी सेना को ही चुनौती दे रहे हैं. क्या यह संकट पाकिस्तान सेना को नई दिशा देगा.

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