नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले में आग लगने और इस दौरान फायर ब्रिगेड को करोड़ो रुपये का कैश मिलने के मामले में नया मोड़ आ गया है.  फायर डिपार्टमेंट ने साफ किया है कि उसके कर्मचारियों को आग बुझाते वक्त जस्टिस के घर पर कोई कैश नहीं मिला था. 14 मार्च को उनके आवास पर आग लगने की घटना हुई थी और अग्निशमन विभाग आग बुझाने गया था.

जस्टिस के यहां करोड़ो के कैश पर क्या बोला SC

उधर सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बाबत एक बयान जारी किया है और स्पष्ट किया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के तबादले की सिफारिश और आंतिरक जांच दोनों अलग है. आपको बता दें कि मीडिया में खबर चल रही थी कि जस्टिस के आवास पर आग लगने और बुझाने के दौरान करोड़ों रुपया कैश मिला था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम की आपात बैठक बुलाकर जस्टिस वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट करने की सिफारिश की और इन हाउस जांच शुरू कर दी.

Statement of Supreme Court on issue of Justice Yashwant Varma of Delhi High Court.

“There is misinformation and rumours being spread with regard to the incident at the residence of Mr. Justice Yashwant Varma…The proposal for transfer of Mr. Justice Yashwant Varma, who is the… pic.twitter.com/kewOwuarYw

— ANI (@ANI) March 21, 2025

फायर डिपार्टमेंट ने कहा नहीं मिला कैश

दिल्ली अग्निशमन सेवा (DFS) के प्रमुख अतुल गर्ग ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि आग बुझाने के दौरान दमकल कर्मियों को कोई नकदी नहीं मिली थी. 14 मार्च की रात 11:35 बजे लुटियंस दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के आवास पर आग लगने की सूचना मिली, दमकल दो गाड़ियां मौके पर भेजी गईं और आग बुझाकर वापस आ गई. इसकी जानकारी पुलिस को दे दी गई थी. दिल्ली अग्निशमन सेवा (DFS) के प्रमुख अतुल गर्ग ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि आग बुझाने के दौरान दमकल कर्मियों को कोई नकदी नहीं मिली थी. 14 मार्च की रात 11:35 बजे लुटियंस दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के आवास पर आग लगने की सूचना मिली, दमकल दो गाड़ियां मौके पर भेजी गईं और आग बुझाकर वापस आ गई. इसकी जानकारी पुलिस को दे दी गई थी.

सुप्रीम कोर्ट बोला अफवाहों से बचें

सुप्रीम कोर्ट ने भी एक आधिकारिक बयान जारी किया है जिसमें कहा गया है कि दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य जस्टिस ने जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़े मामले की जांच सबसे पहले शुरू की थी. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस मामले में कई प्रकार की अफवाहें और गलत जानकारियां फैलाई जा रही हैं, जिससे बचने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने बयान में कहा है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर का प्रस्ताव इन-हाउस जांच प्रक्रिया से पूरी तरह अलग और स्वतंत्र है. जस्टिस यशवंत वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट में दूसरे वरिष्ठतम जज और कोलेजियम के सदस्य हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट में तबादले के बाद उनकी वरिष्ठता घटकर नौवीं हो जाएगी.

SC ने माना जांच चल रही

एक बात स्पष्ट कर दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आधिकारिक बयान में दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश द्वारा जांच, कॉलेजियम की बैठक और जस्टिस यशवंत वर्मा के तबादले की सिफारिश की बात स्वीकारी है. पूरा मामला क्या है, जांच क्यों हो रही है, तबादले की सिफारिश क्यों करनी पड़ी उसमें यह नहीं बताया गया है.

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