पटना. विधानसभा चुनाव महाराष्ट्र और झारखंड में चल रहा है और खेल बिहार में हो रहा है. सियासी लिहाज से जरखेज बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव है लेकिन तैयारी अभी से चल रही है. इसी क्रम में सीएम नीतीश के आवास पर एक बैठक हुई जिसमें उनके ठीक बगल में दाहिनी तरफ एक कुर्सी खाली दिख रही है. जब से यह बैठक खत्म हुई है सवाल पूछे जा रहे हैं कि वह कौन नेता था जिसका नीतीश इंतजार करते रहे और वह नहीं आया. दूसरा सवाल ये उठ रहा है कि आखिर केंद्रीय कैबिनेट मंत्री गिरिराज सिंह को दूसरी पंक्ति में क्यों बिठाया गया.
बिहार में 4 सीटों पर उप चुनाव हो रहे हैं और अगले साल विधानसभा का चुनाव है. नीतीश कुमार ने उप चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में बैठक बुलाई थी. असली मकसद था बिहार का बॉस कौन का जवाब देना. जानकारों की मानें तो इसका जवाब भी सबको पता है लेकिन संदेश देना था लिहाजा बैठक बुलाई गई. नीतीश की दाहिनी तरफ एक कुर्सी रखी गई जिसकी तरफ नीतीश देख रहे हैं और मुस्करा रहे हैं. यह कुर्सी शुरू से लेकर अंत तक खाली रही. इसी तरफ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल और ललन सिंह काफी गंभीर मुद्रा में बैठे दिख रहे हैं नीतीश की बाईं तरफ दोनों डिप्टी चीफ मिनिस्टर सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा बैठे हैं. सवाल उठ रहे हैं कि एनडीए के किस नेता की कुर्सी खाली रह गई?
पहला नाम लोजपा के दूसरे धड़े के नेता पशुपति पारस का आया. पता चला कि उन्हें तो बैठक में बुलाया ही नहीं गया था. दूसरा नाम उसी पार्टी के दूसरे धड़े के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान का आया. पता चला कि बेशक वह नहीं आये थे लेकिन उनकी पार्टी के सांसद मौजूद थे. तीसरा नाम हम के नेता पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी का लिया जा रहा है. उम्र, अनुभव और ओहदे को देखते हुए उन्ही पर जाकर नजर टिक रही है. जीतनराम मांझी की बहू दीपा मांझी इमामगंज से उपचुनाव लड़ रही हैं, ऐसे में उनका बैठक में न आना अखर रहा है. बैठक उपचुनाव की तैयारियों को लेकर थी फिर जीतनराम मांझी क्यों नहीं आये. हालांकि उनके बेटे संतोष सुमन बैठक में मौजूद थे.
दूसरी चर्चा स्वाभिमान यात्रा निकालने वाले और जदयू से दो दो हाथ करने वाले केंद्रीय कैबिनेट मंत्री गिरिराज सिंह के दूसरी पंक्ति में बैठने को लेकर हो रही है. माना जा रहा है कि भाजपा नीतीश के सामने झुकी है, तभी उसने गिरिराज सिंह की यात्रा से किनारा किया और बैठक में उन्हें कम भाव दिया गया. बैठक में 18 साल से ऊपर के मतदाताओं को बिहार सरकार और केंद्र सरकार की नीतियों के बारे में बताने, 2005 के बिहार और आज के बिहार के अंतर को समझाने तथा नीतीश हैं तो सुरक्षा है का संदेश देने की बात तय हुई. बहरहाल बैठक में चुनाव की तैयारियों से ज्यादा कुर्सी खाली होने को लेकर चर्चा हो रही है और संदेश जा रहा है कि एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं है.
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