कोलकाता। चुनाव आयोग ने कल तीन दलों का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीन लिया। इन तीन पार्टियों में सीपीआई और एनसीपी के अलावा पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस भी शामिल है। इस बीच चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ पार्टी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है। मामले को लेकर तृणमूल कांग्रेस पार्टी के […]
कोलकाता। चुनाव आयोग ने कल तीन दलों का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीन लिया। इन तीन पार्टियों में सीपीआई और एनसीपी के अलावा पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस भी शामिल है। इस बीच चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ पार्टी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है। मामले को लेकर तृणमूल कांग्रेस पार्टी के सूत्रों ने कहा कि पार्टी चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने के लिए कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है। हालांकि मामले को लेकर अभी तक पार्टी की तरफ से कोई भी आधिकारिक बयान नहीं आया है। वहीं टीएमसी से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छिनने के बाद भाजपा ने भी प्रतिक्रिया जारी की है।
मामले पर प्रदेश भाजपा प्रमुख सुकांत मजूमदार ने ट्वीट करते हुए कहा कि, टीएमसी ने राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खो दिया और इसे अब एक क्षेत्रीय पार्टी के रुप में मान्यता दी जाएगी। अब टीएमसी को बढ़ाने की दीदी की आकांक्षा के लिए कोई जगह नहीं है, क्योंकि लोग जानते हैं कि टीएमसी सबसे भ्रष्ट, तुष्टिकरण और आतंक से भरी सरकार चलाती है। इस सरकार का गिरना भी निश्चित है, क्योंकि पश्चिम बंगाल के लोग इस सरकार को लंबे समय तक बर्दाश्त नहीं करेंगे।
बता दें, सोमवार को चुनाव आयोग ने अपने फैसले में एनसीपी और टीएमसी समेत सीपीआई को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा घटाकर क्षेत्रीय पार्टी कर दिया। बता दें, ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर एक जनवरी 1998 को टीएमसी का गठन किया था। 2001 और 2006 में असफल कोशिशों के बाद टीएमसी ने 2011 में वामपंथी मोर्चे को हराकर पश्चिम बंगाल की सत्ता हासिल की थी। अब टीएमसी मजबूती से पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज है।