नई दिल्ली. यूपी की तपिश महाराष्ट्र तक पहुंच गई है और कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी और उसके मुखिया को जोर का झटका दिया है. अखिलेश यादव महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 12 सीटें मांग रहे थे और अब 5 पर ही संतोष करने को तैयार हैं लेकिन कांग्रेस किसी भी सूरत में 2 से अधिक देनें को तैयार नहीं है.
कहते हैं कि राजनीति संभावनाओं का खेल है. लोकसभा चुनाव में सपा यूपी में 37 सीटें जीती और कांग्रेस 6. पूरे देश में कांग्रेस ने 99 सीटें जीती. बस क्या था विपक्ष ने मोदी सरकार को चारो तरफ से घेर लिया. इसी बीच जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में चुनाव हुए जिसमें भाजपा भारी पड़ गई. हरियाणा में तो उसने तीसरी बार सरकार बना ली. इन दोनों राज्यों में चुनाव के बाद महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव का ऐलान हुआ और साथ में 14 राज्यों की 48 विधानसभा सीटों के लिए उप चुनाव का भी ऐलान हुआ.
इसी क्रम में यूपी में 9 सीटों पर उप चुनाव हो रहे हैं लिहाजा कांग्रेस ने 5 सीटें मांगी, सपा प्रमुख अखिलेश ने एकतरफा 7 सीटों के लिए उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया. खैर और गाजियाबाद की सीट कांग्रेस के लिए छोड़ने का संकेत दिया और ऐन मौके पर फूलपुर सीट के लिए कहा जहां से सपा का मुस्लिम उम्मीदवार घोषित हुआ था. नतीजतन कांग्रेस ने यूपी में उपचुनाव लड़ने से इनकार कर दिया और मन ही मन महाराष्ट्र में अखिलेश से हिसाब बराबर करने का मूड बना लिया. मौका मिला तो उसने अखिलेश यादव की पार्टी को 2 सीटों का ऑफर दे दिया. अखिलेश यादव पहले 12 सीटें मांग रहे थे और बाद में 5 सीटें मांगने लगे लेकिन तब तक बात बिगड़ चुकी थी.
प्लान के मुताबिक कांग्रेस को जैसे ही मौका मिला लिहाजा उसने महाराष्ट्र में जिन दो सीटों मानखुर्द शिवाजी नगर और भिवंडी पूर्व पर सपा पिछले चुनाव में जीती थी उसी पर संतोष करने का संदेश दे दिया. इन दोनों सीटों के अलावा सपा वर्सोवा, अणुशक्ति नगर, भायखला सीट, और भिवंडी पश्चिम, नासिक की मालेगांव सेंट्रल, औरंगाबाद पूर्व, वाशिम की करंजा और धुले की सीटें मांग रही थी। महाविकास अघाड़ी ने बाकी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिये. इतना ही नहीं जिस मानखुर्द शिवाजी नगर से सपा प्रदेश अध्यक्ष अबू आजमी चुनाव लड़ रहे हैं वहां से नवाब मलिक ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. नवाब मलिक महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े नाम हैं. यानी कि अबू आजमी की भी सीट फंस गई.
अब अखिलेश यादव कह रहे हैं कि राजनीति में त्याग के लिए कोई जगह नहीं जबकि अबू आजमी कह रहे हैं कि वह इंतजार कर रहे हैं. सम्मानजनक सीटें नहीं मिली तो जहां जहां उनका संगठन मजबूत है वहां से उम्मीदवार उतारेंगे और 25 सीटों पर पार्टी चुनाव लड़ेगी. यहीं पर आकर पेंच फंस गया है, एक तरफ गठबंधन को नुकसान न पहुंचाने की दुहाई दी जा रही है दूसरी तरफ कांग्रेस और सपा एक दूसरे को तेवर दिखा रहे हैं. एक बात साफ है कि सपा सिर्फ दो सीटों पर नहीं मानेगी और कांग्रेस इससे ज्यादा उसे देगी नहीं. कांग्रेस और एनसीपी ने अखिलेश जिन तीन सीटों पर दावेदारी कर रहे थे वहां से उम्मीदवार उतार दिये हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इंडी गठबंधन टूट जाएगा?
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