चंडीगढ़। पंजाब की भगवंत मान सरकार ने सिख गुरुद्वारा एक्ट में बदलाव करने का फैसला लिया है। सरकार 19 जून को होने वाली कैबिनेट मीटिंग में इसमें एक नए प्रावधान को जोड़ने जा रही है, जिसके बाद गुरबाणी के प्रसारण के लिए कोई टेंडर नहीं लेना होगा। स्वर्ण मंदिर से प्रसारित होने वाली गुरबाणी को […]
चंडीगढ़। पंजाब की भगवंत मान सरकार ने सिख गुरुद्वारा एक्ट में बदलाव करने का फैसला लिया है। सरकार 19 जून को होने वाली कैबिनेट मीटिंग में इसमें एक नए प्रावधान को जोड़ने जा रही है, जिसके बाद गुरबाणी के प्रसारण के लिए कोई टेंडर नहीं लेना होगा। स्वर्ण मंदिर से प्रसारित होने वाली गुरबाणी को सभी लोग सुन सकेंगे और लाइव प्रसारण के जरिए देख सकेंगे, ये सभी लोगों के लिए मुफ्त होगा। पंजाब की आप सरकार का तर्क है कि गुरबाणी पर किसी का अधिकार नहीं है बल्कि ये जनता का हक है कि वह इसे आसानी से सुन सके। सरकार के इस फैसले को लेकर राजनीति तेज हो गई है।
ये एक्ट गुरुद्वारों के मैनेजमेंट के लिए 1925 में अस्तित्व में आया था। इसे पंजाब विधानसभा से भी मंजूरी मिली हुई है। 1925 में ननकाना साहिब में एक गुरुद्वारे में आग लग गई थी, इस आगजनी में कई लोग जलकर मर गए थे। इसके बाद ये सवाल उठा कि आखिर गुरुद्वारों को मिलने वाली आय को वहीं पर खर्च क्यों नहीं किया जाता। इसी मकसद से ये एक्ट अस्तिव में आया था। इसके तहत फैसला लिया गया कि गुरुद्वारों को मिलने वाली कमाई का इस्तेमाल उनके ही विकास में हो सकेगा। कोई भी निजी तौर पर इस आय को इस्तेमाल नहीं कर सकेगा।
इस एक्ट के तहत गुरुद्वारे में तमाम चीजों के मैनेजमेंट, उनके निर्माण कार्य से संबंधित चीजों का अधिकार शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी मिला हुआ है। यहां तक कि स्वर्ण मंदिर में होने वाली गुरबानी का प्रसारण भी एसजीपीसी की ओर से तय किया जाता है। इसके प्रसारण के लिए टेंडर जारी किए जाते हैं और जिन लोगों को ये मिलता है, उनके द्वारा ही गुरबाणी को दिखाया जाता है। शुरुआत में एक सेंट्रल सिख बोर्ड का गठन हुआ था, जो गुरुद्वारों का मैनेजमेंट देखता था, फिर बाद में सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बनी। इसकी देश के सभी राज्यों में अलग शाखाएं भी है।