लखनऊ। प्रयागराज में पुलिस कस्टडी के दौरान अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या करने वाले आरोपियों के तार अब नोएडा के साथ जुड़ रहे हैं। हत्याकांड में शामिल सनी सिंह नोएडा के गैंगस्टर सुंदर भाटी के गिरोह का सदस्य बताया जा रहा है। जानकारी के अनुसार जिस पिस्टल से अतीक और अशरफ की […]
लखनऊ। प्रयागराज में पुलिस कस्टडी के दौरान अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या करने वाले आरोपियों के तार अब नोएडा के साथ जुड़ रहे हैं। हत्याकांड में शामिल सनी सिंह नोएडा के गैंगस्टर सुंदर भाटी के गिरोह का सदस्य बताया जा रहा है। जानकारी के अनुसार जिस पिस्टल से अतीक और अशरफ की हत्या हुई थी उसका प्रबंध भाटी गिरोह के द्वारा ही किया गया था। बताया जा रहा है सन्नी पिछले कई सालों से उसके लिए ही काम कर रहा है। अब नोएडा एसटीएफ भी मामले की जांच में जुट गई है।
सुंदर भाटी मूल रूप से घंघौला का रहने वाला है। किसी जमाने में दिल्ली, हरियाणा और यूपी पुलिस के लिए परेशानी बन चुका सुंदर भाटी की तूती पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बोलती थी। बता दें, आगे जाकर सुंदर भाटी गाजियाबाद के लोनी इलाके के गैंगस्टर सतवीर गुर्जर के साथ जुड़ गया, जहां उसकी दोस्ती ग्रेटर नोएडा के रिठोरी गांव के रहने वाले नरेश भाटी से हुई। नरेश गांव में परिवार वालों की हत्या का बदला लेने के लिए सतवीर के संपर्क में आया था। दोनों के बीच की दोस्ती यूपी, दिल्ली और हरियाणा के गैंगस्टर्स में भी मशहूर थी। इसी दोस्ती की वजह से नरेश भाटी के परिवार वालों की मौत का बदला सुंदर ने लिया।
हालांकि जल्द ही सुंदर और नरेश की दोस्ती दुश्मनी में बदल गई, दुश्मनी का कारण था एक ट्रक यूनियन पर कब्जा करना। बता दें, नरेश इस यूनियन पर कब्जे करने के फिराक में था। इसके अलावा नरेश ट्रक यूनियन की राजनीति के अलावा जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का सपना देख रहा था, लेकिन उसके सपने में सुंदर ही सबसे बड़ी रोड़ा था। यहीं से दोनों की दोस्ती दुश्मनी में बदल गई। इसके अलावा जब गैंगवार शुरू हुआ तो ट्रक यूनियन के अध्यक्षों की हत्या कर दी गई।
लेकिन असल दुश्मनी तब बढ़ी जब 2003 में नरेश भाटी जिला पंचायत अध्यक्ष बना तो वे लाल बत्ती में घूमने लगा। ये बात सुंदर को पंसद नहीं आई और उसने नरेश पर हमला बोल दिया। इस हमले में नरेश का गनर और ड्राइवर मारे गए, लेकिन नरेश बच गया। इसके बाद जब 2004 में नरेश एक शादी समारोह से लौट रहा था, तभी सुंदर ने उस पर हमला किया इस हमले में नरेश मारा गया, इसके अलावा हमले में उसके दो साथी भी मारे गए थे। नरेश की मौत के बाद गैंग की कमान उसके छोटे भाई रामपाल भाटी ने संभाली, लेकिन उसका भी 2006 में पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया।
बता दें, सुंदर भाटी पर हत्या, हत्या का प्रयास, रंगदारी, लूट मारपीट के अलावा 60 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। इसके अलावा भाटी को बीते साल ही हरेंद्र प्रधान की हत्या के आरोप में आजीवन कारवास की सजा सुनाई गई है। वर्तमान में वह सोनभद्र जेल में बंद है। लेकिन लगभग डेढ साल पहले सुंदर भाटी हमीरपुर जेल में बंद था, इस कारण ही माना जा रहा है कि सन्नी की मुलाकात भाटी से हमीरपुर जेल में हुई होगी। बता दें, इसी दौरान सन्नी भी लूट की वारदात को अंजाम देने के चलते इसी जेल में बंद था। इसी दौरान सन्नी भाटी के करीब आया और धीरे-धीरे उसका चेला बन गया।
कुछ समय बाद सुंदर भाटी को सोनभद्र जेल में शिफ्ट कर दिया गया और सनी भी जेल से छूट गया। इसके बाद वह भाटी के गुर्गों के संपर्क में रहने लगा था। बता दें, सुंदर के गैंग के पास Ak – 47 समेत अन्य कई खतरनाक हथियार मौजूद है। इसके अलावा सुंदर का संपर्क पंजाब के कई असलहा तस्करों और गैंगस्टर के साथ भी रहा है। माना जा रहा है कि अतीक और अशरफ की हत्या में इस्तेमाल हुई जिगाना पिस्टल को भी सुंदर की गैंग द्वारा ही हमलावारों तक पहुंचाई गई थी।