खुदरा महंगाई ने आरबीआई के साथ-साथ सरकार की भी टेंशन बढ़ा दी है। अमेरिका, यूरोप, चीन समेत अन्य विकसित देशों में अर्थव्यवस्था को राहत देने के लिए बयाज दरों में कटौती की जा रही है। वहीं भारत में महंगाई बढ़ने से ब्याज दरों में कटौती की संभावना न के बराबर दिख रही है।
नई दिल्ली। भारत में महंगाई ने आम लोगों की कमर तोड़ना शुरू कर दिया है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो सीधे-सीधे व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करता है। भारत में पिछले 14 दिनों में सबसे ज्यादा महंगाई अक्टूबर में देखने को मिली है। खुदरा महंगाई के आंकड़ों ने आरबीआई के समक्ष नई चुनौती खड़ी कर दी है। अक्टूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई 6.21 फीसदी देखने को मिली। यह पिछले 14 महीनों में सबसे ज्यादा है।
दिसंबर में मौद्रिक नीति समिति यानी MPC की बैठक होनी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरों पर निर्णय लिया जाएगा। विशेषज्ञों और बाजार ने उम्मीद जताई थी कि दिसंबर में होने वाले बैठक के दौरान आरबीआई ब्याज दरों में कटौती कर सकता है लेकिन महंगाई बढ़ने से इस उम्मीद को झटका लगा है।
अक्टूबर में खुदरा महंगाई ने आरबीआई के साथ-साथ सरकार की भी टेंशन बढ़ा दी है। अमेरिका, यूरोप, चीन समेत अन्य विकसित देशों में अर्थव्यवस्था को राहत देने के लिए बयाज दरों में कटौती की जा रही है। वहीं भारत में महंगाई बढ़ने से ब्याज दरों में कटौती की संभावना न के बराबर दिख रही है। महंगाई के साथ-साथ भारतीय बाजार में सुस्ती भी दिख रही है, इसलिए नकदी प्रवाह को बढ़ाने के लिए ब्याज दरों में कटौती जरूरी है। हालांकि महंगाई नियंत्रित करने के लिए आरबीआई मौजूदा दर को ही बरक़रार रखने की कोशिश करेगा।