नई दिल्ली: भारतीय जीवन बीमा निगम यानि एलआईसी भाषाई विवाद का केंद्र बन गया है. एलआईसी चर्चा में तब आया जब आधिकारिक वेबसाइट के होमपेज पर मुख्य रूप से सभी चीज हिंदी में नजर आने लगी. जिसका तमिलनाडु सरकार ने तीखा आलोचना किया है. इस मुद्दे पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और विपक्षी नेताओं के द्वारा कड़ी आपत्ति जताई है. इसके साथ ही जबरदस्ती हिंदी थोपने पर बहस शुरू हो गई है.
सीएम स्टालिन ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि जबरदस्ती हिंदी को थोपने का एलआईसी की वेबसाइट प्रचार माध्यम बनकर रह गई है. उन्होंने कहा अंग्रेजी चुनने का ऑप्शन भी हिंदी में दिखता है. यह भारत की भाषाई विविधता को कुचलने का कदम है. उन्होंने कहा कि बलपूर्वक सांस्कृतिक और भाषा थोपने के अलावा और कुछ भी नहीं है. एलआईसी को विकसित करने में सभी भारतियों का योगदान है. उन्होंने भाषाई अत्याचार को तत्काल वापस लेने की मांग की है.
डीएमके सांसद टीकेएस एलंगोवन ने स्टालिन की बातों को दोहराया है. उन्होंने केंद्र सरकार पर भारत की भाषाई विविधता को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया. इसके अलावा एलंगोवन ने कहा कि मोदी सरकार सोचती है कि भारत केवल एक भाषा वाला देश है. यूपी में लड़ाई चल रही है, हर क्षेत्र के लोग अलग-अलग हिंदी बोलते हैं और अपनी भाषा के हक के लिए लड़ते हैं, ये हिंदी भाषी लोगों के अंदर चल रहा है. एलंगोवन ने आरोप लगाया कि वेबसाइट में बदलाव का उद्देश्य गैर-हिंदी भाषियों को एलआईसी के साथ जुड़ने से रोकना है.
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