नई दिल्ली। Jamia हिंसा मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी 11 आरोपियों को निचली अदालत में आरोपमुक्त करने के फैसले को पलट दिया है। बता दें, नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA के खिलाफ 2019 में हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली के जामिया इलाके में हुई हिंसा को लेकर शरजील इमाम, सफूरा जरगर समेत अन्य आरोपियों को निचली अदालत ने बरी कर दिया था।
जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। जिसके बाद अदालत ने 23 मार्च को मामले की दो घंटे तक सुनवाई करने के बाद आदेश को सुरक्षित रख लिया था। जिसके बाद आज यह फैसला सुनाया गया है। मामले पर जस्टिस स्वर्णकांता की अदालत ने आदेश देते हुए कहा कि पहली नजर में साफ है कि शरजील समेत बाकी लोग भीड़ मौजूद में थे। यह लोग ना केवल दिल्ली पुलिस मुर्दाबाद के नारे लगा रहा थे। बल्कि बैरिकेड को भी हिंसक तरीक से हटाने की कोशिश कर रही थे।
कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी सभी लोगों को है लेकिन अधिकार का हवाला देकर शांति भंग करने या सार्वजनकि संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की इजाजत किसी को भी नहीं दी जा सकती है। बता दें, दिल्ली हाईकोर्ट ने शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा और सफूरा जरगर समेत 9 लोगों पर आईपीसी की धारा – 143, 147, 149, 186, 353, 427 के तहत आरोप तय करने के आदेश दिए हैं, जबकि दो लोगों मोहम्मद अबुजर और मोहम्मद शोएब को कोर्ट ने आरोप मुक्त कर दिया है।
दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस और सीएए कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पके बाद हिंसा भड़क गई थी। इस मामले में जामिया नगर पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी। इसके अलावा शरजील इमाम के अलावा अन्य आरोपियों पर हिंसा और गैरकानूनी रूप से इकट्ठा करने का आरोप लगाया था।
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