रांची, झारखंड में चल रहे सियासी ड्रामे का अब क्लाइमैक्स आ गया है. चुनाव आयोग ने साफ तौर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अवैध खनन मामले में दोषी माना है और उन्हें अयोग्य ठहराया है. इसी के साथ आयोग ने राज्यपाल को भेजी रिपोर्ट में मुख्यमंत्री सोरेन को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश भी की […]
रांची, झारखंड में चल रहे सियासी ड्रामे का अब क्लाइमैक्स आ गया है. चुनाव आयोग ने साफ तौर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अवैध खनन मामले में दोषी माना है और उन्हें अयोग्य ठहराया है. इसी के साथ आयोग ने राज्यपाल को भेजी रिपोर्ट में मुख्यमंत्री सोरेन को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश भी की है. दूसरी ओर बदले हालात में गठबंधन दलों की आंतरिक बैठकों का दौर शुरू हो गया है, वहीं आज शाम सात बजे के बाद मुख्यमंत्री आवास पर गठबंधन सरकार के सभी घटक दलों की बैठक होगी.
राजभवन से राजपत्र जारी होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भविष्य का फैसला होगा, अगर राज्यपाल चुनाव आयोग की सिफारिश पर मुहर लगाते हैं तो राजपत्र आते ही सोरेन की विधायकी खत्म हो जाएगी. ऐसे में उन्हें तत्काल मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ेगा, लेकिन अगर पार्टी चाहे तो इस्तीफा देने के बाद उन्हें दोबारा से नेता चुनकर मुख्यमंत्री बना भी सकती है. लेकिन इसके लिए उन्हें अगले छह महीने के अंदर दोबारा से चुनाव लड़ कर विधानसभा पहुंचना होगा. झारखंड के एक वरीष्ठ नेता सरयू राय ने बताया कि चुनाव आयोग ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि हेमंत सोरेन विधायक पद के लिए फिट नहीं है, चुनाव आयोग ने उन्हें अयोग्य करार दिया है.
हेमंत सोरेन पर आरोप है कि उन्होंने खुद के नाम से खनन के लिए लीज जारी कर दिया था, इस संबंध में मुख्यमंत्री सोरेन के खिलाफ शिकायत भी दर्ज हुई थी. यह मामला कोर्ट तक पहुंचा था, इसके बाद चुनाव आयोग ने मामले की जांच करवाई थी.
चुनाव आयोग की रिपोर्ट पर राज्यपाल कभी भी फैसला ले सकते हैं, राज्यपाल की नजर में दोष प्रमाणित होने पर वह हेमंत सोरेन की विधायकी तो रद्द कर ही सकते हैं, साथ ही राज्यपाल अपने विवेक के आधार पर सोरेन को अगले कुछ वर्षों के लिए चुनाव लड़ने पर रोक भी लगा सकते हैं.
इस मामले में चुनाव आयोग ने जांच की थी और संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत, किसी सदस्य को अयोग्य ठहराने के मामले में अंतिम फैसला राज्यपाल को ही लेना होता है ऐसे में अब राज्यपाल ही सोरेन की किस्मत का फैसला लेंगे. हालांकि, ऐसे किसी भी मामले में कोई फैसला देने से पहले राज्यपाल को चुनाव आयोग की राय लेनी होती है और उसी के मुताबिक फैसला करना होता है. अब चुनाव आयोग ने तो अपनी राय दे दी है, अब बस राज्यपाल के फैसले का इंतज़ार है.