चुनाव हारने के बाद शुरु हुई राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई, अतीक की हत्या के साथ हुई खत्म, जानिए पूरी कहानी

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा नाम रहे माफिया अतीक अहमद और उसके छोटे भाई अशरफ की शनिवार देर रात गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके साथ ही प्रयागराज में माफिया के एक अध्याय का भी अंत हो गया। लेकिन क्या आप जानते है कि राजू पाल से शुरु हुए हत्याकांड के इस […]

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चुनाव हारने के बाद शुरु हुई राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई, अतीक की हत्या के साथ हुई खत्म, जानिए पूरी कहानी

Vikas Rana

  • April 16, 2023 2:11 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा नाम रहे माफिया अतीक अहमद और उसके छोटे भाई अशरफ की शनिवार देर रात गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके साथ ही प्रयागराज में माफिया के एक अध्याय का भी अंत हो गया। लेकिन क्या आप जानते है कि राजू पाल से शुरु हुए हत्याकांड के इस सिलसिले की कहानी की शुरुआत कहां से हुई थी। आइए हम आपको बताते है पूरी कहानी –

विधायक के हत्याकांड से शुरु हुआ सफर

किसी समय में अतीक अहमद के काफी करीबी रहे राजू पाल उस समय अतीक से अलग हो गए थे, जब उन्होंने 2002 में धूमनगंज विधानसभा सीट से उनके खिलाफ चुनाव लड़ा था। हालांकि इस चुनाव में राजू पाल हार गए थे, लेकिन राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई यहीं से शुरु हो गई थी। इसी बीच 2004 में अतीक अहमद सांसद बना जिसके कारण एक बार फिर उसकी विधानसभा की सीट खाली हो गई। इस बार चुनाव में अतीक ने अपने भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को मैदान में उतारा और उनके खिलाफ खड़े थे राजू पाल हालांकि इन चुनावों में अशरफ राजू पाल से चुनाव हार गया, और यहीं से शुरू हुई खूनी सफर की शुरुआत

इस बीच पांच बार इस सीट से विधायक रहे अतीक और उनके परिवार ने चुनावों में इस हार को अपना अपमान मान लिया। इसी दौरान 25 फरवरी 2005 को जब विधायक राजू पाल स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल से अपने घर लौट रहे थे। इसी दौरान जब वो घर को निकलने के लिए अपनी गाड़ी में बैठे तो कुछ लोग उनकी स्कार्पियों से उनका पीछा करने लगे। फिलहाल अभी तक राजू पाल को इस चीज का एहसास नहीं था कि उनकी हत्या होने वाली है। लेकिन कुछ देर बाद ही राजूपाल जैसे ही धूमनगंज क्षेत्र में नेहरू पार्क के थोड़ा आगे बढ़ते हैं। तभी हमलावर उन्हें ओवरटेक करते हैं और चंद सेकेंड में ही फायरिंग शुरू हो जाती है।

25 हमलावरों ने बरसाई गोलियां

बताया जाता है कि करीब 25 हमलावर ने राजू पाल के ऊपर इतनी गोलियां बरसाई कि उन्हें संभलने तक का मौका नहीं मिला था। इसके बाद राजू पाल को टेंपो से अस्पताल लेकर भागे, लेकिन हमलावर कई किलोमीटर तक टेंपो पर भी फायरिंग करते रहे। अस्पताल पहुंचे-पहुंचते राजू पाल का शरीर छलनी हो चुका था। इस दौरान पोस्टमार्ट में उनके शरीर में 15 गोलियां मिली थी। वहीं हमले में राजूपाल के दो बॉडीगार्ड संदीप यादव और देवीलाल की भी मौत हो गई थी। हत्या से 9 महीने पहले ही राजू पाल की शादी पूजा पाल से हुई थी।

फिर उमेश पाल की हुई हत्या

राजू पाल को मारने के बाद अतीक के लिए आगे का रास्ता साफ हो चुका था, लेकिन आगे जाकर राजू पाल की हत्या में सबसे बड़े गवाह के तौर पर सामने आया उमेश पाल था। लेकिन उमेश पाल की भी 24 फरवरी को प्रयागराज में उनके सुलेम सराय स्थित घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उमेश पेशे से कोर्ट में वकील था। हमलावरों ने उन पर गोलियां और बम के जरिए उनकी हत्या की थी। इस दौरान उनकी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी भी इसमें मारे गए थे। इस हमले में अतीक के साथ ही तीसरे नबंर के बेटे असद का नाम सामने आया था।

पुलिस को मिले सीसीटीवी फुटेज में असद भी दिखाई दिया गया था। इसके बाद पुलिस ने एक दिन पहले ही गुरुवार को उसका एनकाउंटर कर दिया और अब अतीक और अशरफ की भी हत्या कर दी गई। ऐसे में माना जा रहा है कि कई सालों से चली आ रही ये राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई अब अतीक और अशरफ की हत्या के साथ ही खत्म हो चुकी है, लेकिन हालात अभी भी बहुत ठीक नहीं हैं।

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