लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कर्मचारियों की हड़ताल से बिजली आपूर्ति की स्थिति बुरी तरीके से चरमरा गई है। बता दें , अभी तक लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और मेरठ समेत कई शहरों में हड़ताल के कारण संकट पैदा हो गया है। कानपुर और गोरखपुर में फैक्टरियों में औद्योगिक उत्पादन ठप हो गया है। 23 साल बाद ऐसा प्रदेशव्यापी हड़ताल देखने को मिल रही है, जिसकी वजह से कई गांव अंधेरे में डूब गए है और हड़ताल लोगों के लिए परेशानी की वजह बन गई है
वहीं राजधानी लखनऊ का करीब एक चौथाई हिस्सा बिजली संकट की चपेट में है, फिलहाल इस मामले को लेकर हाईकोर्ट भी सख्त हो गया है। उसने कर्मचारी नेताओं को तलब किया है। वहीं हड़ताल को लेकर सरकार ने भी सख्त रुख अपनाना शुरू कर दिया है। विद्युत आपूर्ति को बहाल करने में सहयोग नहीं करने वाले कई कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है, साथ ही एजेंसियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई है।
हड़ताल के कारण गोरखपुर में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आपूर्ति व्यवस्था पूरे तरीके से ठप है। बता दें, यहां पर बृहस्पतिवार रात 12 बजे से संकट बढ़ना शुरू हुआ था। वहीं शुक्रवार की सुबह तक गोरखपुर के अधिकतर स्थानों के 33केवी और 11 केवी के फीडर बंद हो गए थे। इसके अलावा कई इलाकों में कल शाम चार बजे तक बिजली नहीं आई है। औद्योगिक क्षेत्र गीडा में भी सुबह नौ बजे तक बिजली कट गई और शाम तक नहीं आई। जिसके कारण इलाके की सैकड़ों फैक्टियों में उत्पादन ठप हो गया। वहीं महराजगंज में 33 में से 25 फीडर बंद है। यहां आटा चक्की और राइस मिल भी बंद है।
मेरठ में बिजली लाइन के बंद होने पर प्राईवेट ठेकेदारों के कर्मचारियों की मदद ली जा रही है। इस दौरान हड़ताल के कारण मेरठ के सभी एसडीओ के फोन बंद है और कार्यालय पर ताले लगा दिए गए है। यहां भी शहर के अलावा देहात के कई इलाकों में फॉल्ट होने के कारण बिजली आपूर्ति ठप हो गई है। हालांकि प्रशासन का दावा है कि बिजली की आपूर्ति बंद होने के कुछ समय बाद ही इस सुचारू कर दिया गया। वहीं बिजनौर सर्किल में 30 और धामपुर सर्किल में 40 यानी जिले के 70 बिजलीघरों से आपूर्ति प्रभावित हुई है। वहीं बागपत के 50 गांवों में बिजली आपूर्ति पूरे तरीके से बाधित है, जहां करीब 12 घंटे बाद आपूर्ति शुरु हो सकी।
3 दिसंबर 2022 को प्रदेश सरकार और बिजलीकर्मियों के बीच समझौता हुआ था। समझौते में सरकार की तरफ से ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने समझौते के बिंदुओं को लागू करने के लिए 15 दिन का समय मांगा था मगर अब तीन महीने से ज्यादा वक्त गुजर चुका है समझौते पर अमल नहीं हुआ है।
बता दें, समझौते में बिजली विभाग में नियुक्त किए जाने वाले ऊर्जा निगमों के चैयरमेन और प्रबन्ध निदेशक के चयन करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी को गठित किया जाना था जिसके जरिए बिजली विभाग में नियुक्तियां होनी थी। लेकिन सरकार ने अभी तक इस पर अमल नहीं किया है। इसके अलावा कर्मचारियों की मुख्य मांगों में 19 वर्ष की सेवा के बाद तीन प्रमोशन वेतनमान दिए जाने, बिजली कर्मियों के लिए पावर सेक्टर इम्प्लॉईज प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने और विद्युत उपकेंन्द्रों के परिचालन और अनुरक्षण की आउटसोर्सिंग को बंद करना प्रमुख रूप से शामिल है।
इससे पहले उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद शर्मा ने हड़ताल कर रहे कर्मचारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि जो लोग बिजली लाइन में गड़बड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं, उन लोगों को आकाश-पाताल से खोजकर निकाला जाएगा, साथ ही उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ऊर्जा मंत्री ने हड़ताल के बाद भी राज्य में बिजली की आपूर्ति को नियंत्रण में रहने का दावा किया उनका कहना था कि हड़ताल के बाद भी राज्य में किसी तरह का संकट नहीं है, फिलहाल प्रदेश में चार हजार मेगावाट सरप्लस बिजली है।
वहीं मामले पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे का दावा है कि हड़ताल के चलते उत्पादन निगम की 1030 मेगावाट क्षमता की 5 इकाइयां ठप हो चुकी है। प्रदेश में कुल 1850 मेगावाट उत्पादन प्रभावित हुआ है। समिति ने बिजलीकर्मियों पर तोड़फोड़ के आरोपों का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि, बिजली कर्मी विद्युत संयंत्रों को अपनी मां की तरह मानते हैं, जिस कारण उनकी हड़ताल भी शांतिपूर्ण ढंग से की जा रही है।
बता दें, इससे पहले हड़ताल को लेकर सीएम योगी ने बिजली कर्मियों पर सख्ती दिखाते हुए वाराणसी मे कहा कि राज्य में अराजकता फैलाने वालों को सूचीबद्ध किया जाएगा। इसके अलावा बिजली फीडर बंद करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
वहीं बिजली कर्मचारियों के हड़ताल के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कर्मचारी नेताओं को अवमानना नोटिस जारी किया है। मामले पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने कर्मचारी नेताओं को 20 मार्च को तलब किया है। हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि यह हड़ताल हाईकोर्ट के उस पुराने आदेश के खिलाफ है, जिसमें कहा गया है कि बिजली आपूर्ति बाधित नहीं होनी चाहिए।
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