लखनऊ. आज समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं. पहले तो विधायक आजम खान को भड़काऊ भाषण देने के चलते तीन साल की जेल हुई तो वहीं दूसरी ओर चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को गुरुवार को एक नोटिस जारी कर दिया. दरअसल, आयोग ने अखिलेश […]
लखनऊ. आज समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं. पहले तो विधायक आजम खान को भड़काऊ भाषण देने के चलते तीन साल की जेल हुई तो वहीं दूसरी ओर चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को गुरुवार को एक नोटिस जारी कर दिया. दरअसल, आयोग ने अखिलेश यादव से यूपी में हर विधानसभा सीट पर मतदाता सूची से यादव और मुस्लिम समुदाय के लगभग 20,000 मतदाताओं को कम करने के आरोप को सिद्ध करने के लिए सबूत पेश करने को कहा है. चुनाव आयोग ने सबूत पेश करने के लिए अखिलेश यादव को 10 नवंबर तक का समय दिया है.
दरअसल, सपा के राष्ट्रीय सम्मेलन में अखिलेश यादव ने आरोप लगाते हुए कहा था कि चुनाव आयोग ने भाजपा और उसके पन्ना प्रमुखों के निर्देश पर लगभग हर विधानसभा सीट पर यादवों और मुसलमानों के वोटों को जानबूझकर 20,000 तक कम कर दिया, इसी कड़ी में उन्होंने कहा कि वो पहले भी इसपर सवाल उठा चुके हैं और एक बार फिर इस्वर सवाल उठाते हुए कहना चाहेंगे कि अगर जांच होती है तो पता चलेगा कि उनके 20,000 वोट खारिज कर दिए गए और कई लोगों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए जबकि कुछ लोगों को एक बूथ से दूसरे बूथ पर ट्रांसफर कर दिया गया. अब अखिलेश यादव के इन्हीं आरोपों के चलते चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस भेजा है और उन्हें अपने आरोप सिद्ध करने के लिए सबूत देने को कहा है. गौरतलब है, आयोग ने अखिलेश को अपने तथ्य को साबित करने हेतु सबूत एकत्रित करने के लिए 10 नवंबर का समय दिया है.
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