नई दिल्ली। आज सावन की पहली शिवरात्रि है। हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि मनाई जाती है। महाशिवरात्रि के बाद सावन की शिवरात्रि का विशेष महत्व है क्योंकि सावन को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है और शिवरात्रि भगवान शिव की पूजा की लिए समर्पित है। इस कारण सावन शिवरात्रि […]
नई दिल्ली। आज सावन की पहली शिवरात्रि है। हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि मनाई जाती है। महाशिवरात्रि के बाद सावन की शिवरात्रि का विशेष महत्व है क्योंकि सावन को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है और शिवरात्रि भगवान शिव की पूजा की लिए समर्पित है। इस कारण सावन शिवरात्रि की प्रतीक्षा की जाती है। ताकि भगवान शिव को प्रसन्न कर अपनी मनोकामनाओं को पूरा किया जा सके।
शिवरात्रि के दिन सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर उठकर स्नान करें और व्रत रखे। व्रत रखकर किसी शिव मंदिर या अपने घर में नर्मदेश्वर की मूर्ति या पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर समस्त पूजन सामग्री एकत्र कर लें। इसके बाद आसन पर विराजमान होकर मंत्रों का जाप और मंत्र जप करते हुए स्थापित की गई शिवमूर्ति की षोडशोपचार पूजा करें।
इसके बाद शिवलिंग पर आक, कनेर, विल्पपत्र और धतूरा, कटेली शिवलिंग पर चढ़ाएं। रात्रि जागरण के अगले दिन शिवपूजा के पश्चात जौ, तिल और खीर से 10 आहुतियों और “उं नम शिवाय” आदि मंत्रों का जाप करें। ब्राहणों या शिवभक्तों को भोजन कराएं और दक्षिणा देकर विदा करें फिर भोजन कर व्रत तोड़े।
जो व्यक्ति शिवरात्रि को निर्जला व्रत रहकर जागरण और रात्रि के चारों प्रहरों में चार बार पूजा करता है, वह शिव कू कृपा को प्राप्त करता है। शिवरात्रि महात्म्य में लिखा है कि शिवरात्रि से बढ़कर कोई दूसरा व्रत नहीं है।