नई दिल्ली: निगम चुनाव संपन्न होने के दो महीने बाद भी दिल्ली को अब तक मेयर नहीं मिल पाया है. बता दें, मेयर चुनाव करवाने के लिए तीन बार से निगम सदन की कार्यवाही को स्थगित किया जा रहा है. सदन में भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच बवाल इसका मुख्य कारण है. निगम […]
नई दिल्ली: निगम चुनाव संपन्न होने के दो महीने बाद भी दिल्ली को अब तक मेयर नहीं मिल पाया है. बता दें, मेयर चुनाव करवाने के लिए तीन बार से निगम सदन की कार्यवाही को स्थगित किया जा रहा है. सदन में भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच बवाल इसका मुख्य कारण है. निगम चुनावों में भारी बहुमत से जीत हासिल करने के बाद भी मेयर चुनाव ना कर पाने वाली आम आदमी पार्टी ने मेयर चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. बुधवार यानी आज(8 फरवरी) को इस याचिका पर सुनवाई हुई.
Supreme Court issues notice to Delhi Lieutenant-Governor and others on AAP's mayoral candidate Shelly Oberoi's plea challenging the LG's decision to permit the nominated members to vote in the elections for mayor and deputy mayor in MCD.
— ANI (@ANI) February 8, 2023
याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने आज बुधवार को उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना सहित अन्य को नोटिस जारी किया है। दरअसल आम आदमी पार्टी (आप) की मेयर उम्मीदवार शैली ओबराय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका में एलजी के मनोनीत सदस्यों के वोटिंग करने के फैसले को चुनौती दी गई थी. जिसपर आज सुनवाई की गई. बता दें,मामले में अगली सुनवाई 13 फरवरी को की जाएगी.
गौरतलब है कि दिल्ली नगर निगम सदन सोमवार को तीसरी बार मेयर का चुनाव कराने में नाकाम रहा है। सोमवार को पीठासीन अधिकारी ने कहा कि उपराज्यपाल द्वारा नामांकित एल्डरमैन भी मेयर के चुनाव में मतदान करेंगे, इससे नाराज आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट जाने का ऐलान किया था।
बता दें, भाजपा और आप दोनों ने एक दूसरे पर महापौर के चुनाव को रोकने का आरोप लगाया है। विवाद की जड़ एल्डरमैन की नियुक्ति और सदन में उनके मतदान का अधिकार है। 250 निर्वाचित सदस्यों में से 134 के साथ बहुमत वाली आप ने आरोप लगाया है कि भाजपा मनोनीत सदस्यों को मतदान का अधिकार देकर उसके जनादेश को चुराने की कोशिश कर रही हैं।
इससे पहले भी शैली ओबोरॉय ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था और दिल्ली में मेयर का चुनाव समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की थी। लेकिन 6 फरवरी को होने वाले चुनाव को देखते हुए याचिका वापस ले ली गई थी। शीर्ष अदालत ने 3 फरवरी को कहा था कि याचिकाकर्ता की प्रमुख शिकायत यह थी कि मेयर का चुनाव नहीं हुआ था।
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