नई दिल्ली. दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और उनके मंत्रियों ने शपथ ले ली है और आज से रेखाराज शुरू हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में रेखा गुप्ता के अलावा छह मंत्रियों ने भी शपथ ली. जानें किस मंत्री को कितना है राजनीतिक अनुभव और उनसे कितनी है उम्मीदें.
47 साल के प्रवेश वर्मा जाट समुदाय से हैं. प्रवेश वर्मा नई दिल्ली विधानसभा सीट से आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल को 4089 वोट के अंतर से हराकर दिल्ली विधानसभा में पहुंचे हैं. वह मुख्यमंत्री के रेस में थे लेकिन ऐन मौके पर बाहर हो गये. प्रवेश वर्मा पहली बार 2013 के दिल्ली चुनाव में मेहरौली सीट से विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे.
तब प्रवेश वर्मा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आप उम्मीदवार नरिंदर सिंह सेजवाल को 4564 वोट के अंतर से हराया था. इस तरह वह दूसरी बार दिल्ली विधानसभा में पहुंचे हैं. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रवेश वर्मा दक्षिणी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गये. 2014 में प्रवेश वर्मा 2.68 लाख वोट से जीते थे जबकि 2019 में उनकी जीत का अंतर 5.78 लाख से अधिक का रहा था.
प्रवेश वर्मा दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं और राजनीति उन्हें विरासत में मिली है. उनसे पार्टी को अपनी बिरादरी में वोट बैंक मजबूत करने के अलावा दिल्ली के विकास में अहम भूमिका निभाने की है.प्रवेश वर्मा बचपन में ही आरएसएस से जुड़ गये थे और केशवपुरम के शाखा प्रमुख भी रहे. बीजेपी से राजनीतिक सफर का आगाज करने वाले प्रवेश वर्मा भारतीय जनता युवा मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी रहे. अल्पसंख्यकों को लेकर अपने बयान को लेकर वह विवादों में रहे. पांच बच्चे पैदा करने की उनकी ख्वाहिश थी लेकिन डॉक्टरों की सलाह के बाद उन्होंने अपना इरादा छोड़ दिया.
बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव मनजिंदर सिंह सिरसा चर्चित चेहरे हैं. राजौरी गार्डेन विधानसभा सीट से आप प्रत्याशी धनवती चंदेला को 18190 वोट से हराकर MLA बने हैं. दिल्ली के बड़े सिख नेताओं में शुमार सिरसा शिरोमणि अकाली दल में थे और दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष भी रहे. सिरसा 2013 और 2015 में राजौरी गार्डेन सीट से विधायक बने थे लेकिन 2020 में वह चुनाव हार गये. इसके बाद सिरसा 2021 में भाजपा में शामिल हो गये. कभी बादल परिवार के करीबी रहे सिरसा सुखबीर सिंह बादल के राजनीतिक सलाहकार भी रहे.
मनजिंदर सिंह सिरसा साल 1991 में दिल्ली आए थे और साल 2007 में भाजपा-शिरोमणि अकाली दल के संयुक्त प्रत्याशी के रूप में नगर निगम चुनाव से चुनावी राजनीति में उतरे. तब वह पंजाबी बाग वार्ड से पार्षद निर्वाचित हुए थे. उन्होंने डीयू के श्री गुरु तेगबहादुर खालसा कॉलेज से बीए ऑनर्स में दाखिला लिया था लेकिन बीच में ही पढ़ाई छोड़कर रियल इस्टेल बिजनेस में आ गये. सिरसा तेज तर्रार नेता हैं और भाजपा को उनसे सिखों में पार्टी को लोकप्रिय बनाने की उम्मीदें हैं. पार्टी उन्हें कई बार स्पेशल एसानमेंट भी देती रही है.
कपिल मिश्रा भाजपा के फायरब्रांड नेता हैं और करावल नगर से आप उम्मीदवार मनोज कुमार त्यागी को हराकर विधायक बने हैं. उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत साल 2015 में आप से की थी और केजरीवाल सरकार में उन्हें जल और पर्यटन मंत्री बनाया गया था. उनकी मां पूर्वी दिल्ली की मेयर रह चुकी हैं. आप नेतृत्व से अनबन के बाद 2017 में उन्हें पार्टी बर्खास्त कर दिया गया.
दो साल तक इधर उधर धक्के खाने के बाद कपिल मिश्रा साल 2019 में बीजेपी में शामिल हो गए और 2020 में मॉडल टाउन सीट से चुनाव लड़े लेकिन हार गये. इस दौरान वह आप और उसके नेता अरविंद केजरीवाल के प्रति काफी हमलावर रहे. सोशल मीडिया में काफी एक्टिव रहने वाले कपिल मिश्रा पहले मंत्री रह चुके हैं इसलिए सरकार की रीति और नीति से वाकिफ हैं. दिल्ली दंगों में भी उनका नाम चर्चे में आया था. आज शपथ लेते समय वह पूरी तरह भगवामय थे.
बिहार के बक्सर जिले के मूल निवासी और विकासपुरी से एमएलए डॉ. पंकज सिंह भी मंत्री बने हैं. पेशे से डेंटिस्ट पंकज सिंह ने साल 1998 में बिहार की मगध विश्वविद्यालय से बीडीएस किया था. पंकज सिंह ने विकासपुरी विधानसभा सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आप के महिंदर यादव को बड़े अंतर अंतर से हराया है. पंकज सिंह चार भाइयों में तीसरे नंबर पर हैं. उनके तीनों भाई वकील हैं. पिता एमसीडी में कमिश्नर रहे और उन्हें खुद भी प्रशासन का अनुभव है.
डॉ. पंकज सिंह के लिए मंत्री बनना बेहद खास है क्योंकि उनकी मां सीता सिंह का 18 फरवरी को निधन हो गया था. 19 फरवरी को अंतिम संस्कार के बाद 20 फरवरी को वह मंत्री पद की शपथ लेने पहुंचे. उनके लिए यह काफी भावुक क्षण था. उनके छोटे भाई नीरज सिंह ने कहा, आज अगर मां जिंदा होतीं, तो उन्हें बेहद गर्व महसूस होता. डॉ. पंकज सिंह खेलों के भी बड़े प्रशंसक हैं. वह हर साल अपने पिता की याद में बाबू राजा मोहन मेमोरियल फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन बक्सर के अपने पैतृक गांव धरौली में करवाते हैं. पार्टी को उम्मीद है कि उन्हें मंत्री बनाने से पूर्वांचलवासियों में पैठ बढ़ेंगी. चूंकि उन्हें प्रशासनिक अनुभव भी और खेलो से लगाव भी इसलिए उसी हिसाब से उन्हें मंत्रालय मिल सकता है.
आशीष सूद दिल्ली बीजेपी के वरिष्ठ नेता और बड़े पंजाबी चेहरा हैं. लंबे समय तक अरएसएस और बीजेपी से जुड़े रहे. आशीष सूद के राजनीतिक सफर की शुरुआत दिल्ली के आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज से हुई. यहां उन्होंने कॉमर्स में डिग्री हासिल की और छात्र राजनीति में सक्रिय हो गये. वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गये और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रहे.
आशीष सूद जनकपुरी विधानसभा सीट से चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं. दिल्ली बीजेपी में कई अहम पदों पर रह चुके आशीष सूद भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव और उपाध्यक्ष व दिल्ली बीजेपी के सचिव रह चुके हैं. वह साउथ एमसीडी में नेता सदन के साथ ही गोवा और जम्मू कश्मीर में पार्टी के सह प्रभारी भी रहे. वह साल 2012 में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के पार्षद चुने गए. 2016 में दिल्ली बीजेपी के प्रचार विभाग के प्रभारी बने.
बवाना विधानसभा सीट से विधायक रविंद्र इंद्राज सिंह, रेखा गुप्ता कैबिनेट में दलित चेहरा हैं. वह बीजेपी एससी मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में उन्होंने आप के जय भगवान उपकार को 31 हजार से अधिक वोटों से हराया था. दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट 50 साल के रविंद्र राज पेशे से व्यवसायी हैं. रविंद्र इंद्राज पहली बार के विधायक है लेकिन भाजपा ने उन्हें मंत्री बनाकर दलितों औ देहात दोनों को साधने कोशिश की है. उनके पिता इंद्राज सिंह भी नरेला सीट से एमएलए रहे हैं.
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