नई दिल्ली। भारत की नई संसद को लेकर चीन की प्रतिक्रिया आई है। बता दें, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र समझे जाने वाले चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भारत के नए संसद भवन को लेकर नरेंद्र मोदी की तारीफ की है और कहा है कि ये अच्छी बात है कि भारत […]
नई दिल्ली। भारत की नई संसद को लेकर चीन की प्रतिक्रिया आई है। बता दें, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र समझे जाने वाले चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भारत के नए संसद भवन को लेकर नरेंद्र मोदी की तारीफ की है और कहा है कि ये अच्छी बात है कि भारत औपनिवेशिक काल की सभी निशानियों को मिटाने का काम कर रहा है। चीन भारत की गरिमा बनाए रखने और अपनी स्वतंत्रता को कायम रखने की इच्छा के साथ खड़ा है और चाहता है कि भारत विकास करें।
अखबार ने लिखा कि, भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार को देश की नई संसद भवन का उद्घाटन किया। ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान लगभग एक शताब्दी पहले बनी पुरानी संसद को संग्रहालय में बदला जाएगा। नए संसद भवन को मोदी सरकार की सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का मुख्य हिस्सा माना जाता है। इसका उद्देश्य भारत की राजधानी को गुलामी की निशानियों से मुक्त करना है। देश की नई संसद भवन महज एक इमारत नहीं आत्मनिर्भर भारत के उदय की गवाह है।
इस इमारत की कीमत लगभग 12 करोड़ डॉलर है और इसमें मोर, कमल का फूल और बरगद के पेड़ जैसे राष्ट्रीय प्रतीक शामिल है। ये प्रतीक भारत के इतिहास और संस्कृति की मजबूत विशेषताओं को दिखाते हैं। ये भारत सरकार के विऔपनिवेशीकरण का एक अहम हिस्सा है।
अखबार ने लिखा कि भारत एक ऐसा देश रहा है जिसे उपनिवेश बनाया गया और अब वो राष्ट्रीय आधुनिकीकरण का काम कर रहा है। चीन भारत की स्वतंत्रता और गरिमा बनाए रखने की इच्छा के साथ खड़ा है। भारत लगभग 200 सालों तक ब्रिटेन का उपनिवेशिक शासन रहा है और इसी कारण औपनिवेशिक काल के निशानों को मिटाना एक बड़ा काम है।
चीन कामना करता है कि भारत अपने विकास के लक्ष्यों को हासिल करने में सफल हो। साथ ही चीन पश्चिम के भू-राजनीतिक जोड़ और उकसावे के खिलाफ एक दोस्त के रूप में भारत को सतर्क रहने की सलाह देता है। अखबार लिखता है कि अमेरिका ने बड़े पैमाने पर फूट डालो और राज करो की रणनीति के माध्यम से राज किया और अब भी वो इसी का इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन उसकी ये रणनीति कामयाब नहीं हो पाएगी। अमेरिका इस समय हाथी – ड्रैगन की दुश्मनी बढ़ाने और विवाद पैदा करने में व्यस्त है। अमेरिका के पास अब इतनी ताकत नहीं है कि वो भारत और चीन को अपने अधीन कर ले इसलिए वो अपने फायदे के लिए दोनों के बीच दरार डाल रहा है।