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दिल्ली में अफसरों के तबादलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची केंद्र सरकार, पुनर्विचार याचिका की दायर

नई दिल्ली। दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर 11 मई को देश की शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था। अब इसी मामले को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है। बता दें, 11 मई को पांच जजों की संविधान पीठ ने फैसला […]

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दिल्ली में अफसरों के तबादलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची केंद्र सरकार, पुनर्विचार याचिका की दायर
  • May 20, 2023 12:56 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर 11 मई को देश की शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था। अब इसी मामले को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है। बता दें, 11 मई को पांच जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार की सलाह से बाध्य हैं और अफसरों की ट्रांसफर- पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली की चुनी हुई सरकार को ही मिलना चाहिए।

इसी बीच शुक्रवार को केंद्र सरकार दिल्ली के अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए एक अध्यादेश लेकर आई है। अध्यादेश के जरिए केंद्र ने ट्रांसफर और पोस्टिंग करने की ताकत वापस उपराज्यपाल को दे दी है।

अध्यादेश में क्या है

केंद्र सरकार द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए अध्यादेश में दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी बनाई जाएगी। इसमें तीन सदस्य- मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और प्रमुख गृह सचिव के होने की बात कही गई है। यह कमेटी बहुमत के आधार पर कोई भी फैसला लेगी। अगर कमेटी में फैसले को लेकर कोई विवाद पैदा होता है तो अंतिम फैसला उपराज्यपाल का होगा।

क्या होता है अध्यादेश

बता दें, अध्यादेश वे कानून होता जो भारत के राष्ट्रपति द्वारा केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर लागू किए जाते हैं। राष्ट्रपति द्वारा केंद्र सरकार के कहने पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 123 के तहत ये अध्यादेश जारी किया जाता है। अध्यादेश केवल तभी जारी किया जाता है जब संसद के किसी भी सदन का कोई सत्र नहीं चल रहा हो। आसान भाषा में कहा जाए तो अध्यादेश किसी भी विधेयक को पारित करने का अस्थायी तरीका है।

6 महीने के भीतर संसद में करना पड़ता है पेश

इसके अलावा अध्यादेश एक सीमित समय तक ही प्रभावी रहता है। इसको 6 महीने के अंदर दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा में पेश करना होता है। दोनों सदनों में यदि ये पारित हो जाता है तभी इसे संसद कानून के रूप में लागू करती है। अगर संसद में ये पास नहीं होता है, तो फिर उस अस्थायी कानून को भी रद्द कर दिया जाता है जो अध्यादेश के जरिए लाया गया था।

केजरीवाल को पहले से थी आशंका

बता दें, सुप्रीम कोर्ट में जीत के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को पहले से ही इस बात की आशंका थी कि केंद्र सरकार अध्यादेश ला सकती है। इससे पहले  शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने की बात कहीं थी। वहीं दिल्ली के सेवा मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी सवाल किया था कि क्या उपराज्यपाल और केंद्र अध्यादेश लाकर फैसले को पलटने की साजिश कर रहे हैं। फिलहाल ऐसा हो चुका है।

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