सशस्त्र बलों में पाकिस्तानी नागरिकों की भर्ती को लेकर CBI करेगी जांच, कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

CBI, Inkhabar । सशस्त्र बलों में दो पाकिस्तानी नागरिकों की कथित भर्ती को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने भर्ती के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को जांच करने का आदेश दिया है। फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति राजेशखर मंथा ने कहा कि, मामले पर पश्चिम बंगाल पुलिस की सीआईडी […]

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सशस्त्र बलों में पाकिस्तानी नागरिकों की भर्ती को लेकर CBI करेगी जांच, कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

Vikas Rana

  • June 27, 2023 7:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

CBI, Inkhabar । सशस्त्र बलों में दो पाकिस्तानी नागरिकों की कथित भर्ती को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने भर्ती के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को जांच करने का आदेश दिया है। फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति राजेशखर मंथा ने कहा कि, मामले पर पश्चिम बंगाल पुलिस की सीआईडी अपनी जांच को जारी रख सकती है। इसके अलावा राष्ट्र की सुरक्षा को देखते हुए इसमें केंद्रीय एजेंसियों को आने की जरूरत है। सीआईडी और सीबीआई की टीम समानांतर जांच जारी रख सकती है।

CBI को 26 जुलाई को रिपोर्ट पेश करने के दिए निर्देश

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मंथआ ने कहा कि शुरूआती निष्कर्ष के लिए राज्य की सीआईडी द्वारा जुटाए गए दस्तावेज काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है। फिलहाल इन लोगों की भर्ती कैसे हुई, इसकी जड़ का अभी पता नहीं चल पाया है। इस घपले में यूपी, असम और बिहार जैसे अन्य राज्यों के संबंध भी सामने आए हैं। ऐसे में इस मामले पर सीआईडी, सीबीआई और सेना को बिना किसी टकराव के एक साथ मिलकर काम करना चाहिए। कोर्ट ने सीबीआई और सीआईडी को 26 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है।

कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से हुआ चयन

बता दें, विष्णु चौधरी द्वारा 13 जून को न्यायमूर्ति मंथा की पीठ में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि दो कथित पाकिस्तानी नागरिक जयकांत कुमार और प्रद्युम कुमार को वर्तमान में राज्य के उत्तर 24 परगना जिले के बैरकपुर स्थित छावनी में तैनात किया गया है। विष्णु चौधरी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि इन दोनों पाकिस्तानी नागरिकों का चयन कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा के माध्यम से हुआ है और इन्होंने जाली दस्तावेजों के जरिए ये नौकरी हासिल की थी। साथ ही याचिकाकर्ता ने जाली दस्तावेजों के जरिए ऐसी नियुक्तियों के पीछे प्रभावशाली राजनीतिक नेताओं, नौकरशाहों और पुलिस अधिकारियों से जुड़े एक बड़े रैकेट होने की बात की थी।

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