बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को लगाई फटकार, 2 मई को अगली सुनवाई

नई दिल्ली। गुजरात के चर्चित बिलकिस बानो केस की सुनवाई आज हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 27 मार्च को दिए गए आदेश के अनुसार 11 दोषियों की क्षमा से जुड़ी फाइलों को ना दिखाए जाने पर राज्य सरकार पर सवाल उठाए। अदालत ने इस बात पर भी गौर किया कि ये भयानक अपराध था। बता दें, गुजरात की राज्य सरकार ने पिछले साल 15 अगस्त को बिलकिस बानो केस के 11 आरोपियों को रिहा कर दिया था। जिसके बाद शीर्ष अदालत में इस रिहाई को चुनौती दी गई थी।  इस मामले में पीड़िता बिलकिस बानो के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता सुभाषिनी अली और तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा ने अदालत से मांग की है कि 11 दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के आदेश  रद्द किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

मामले को लेकर अदालत में जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नगराथन की संयुक्त बेंच ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि जब इस तरह के भयानक अपराधों से माफी दी जाती है तो इससे समाज में व्यापक पैमाने पर प्रभाव पड़ता है। अदालत ने ये भी कहा कि सिर्फ इसलिए कि केंद्र सरकार राज्य के फैसले के साथ है इसका मतलब ये नहीं है कि राज्य को अपना दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है।

अदालत ने कहा कि सवाल ये है कि क्या दोषियों को रिहाई देने से पहले क्या सरकार ने अपना दिमाग लगाया, इस फैसले के पीछे क्या वजह रही। जरुरत थी कि दोषियों को सारी उम्र जेल में कटे लेकिन उन्हें एक आदेश जारी कर रिहा  कर दिया गया। आज ये महिला हैं, कल आप या मैं हो सकते हैं। एक मानक उद्देश्य जरूर होना चाहिए। अगर आप रिहा करने के फैसले के बारे में कोई वजह नहीं बता सकते तो हमें अपना निष्कर्ष निकालना पड़ेगा।

वहीं गुजरात सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को कहा गया है कि 27 मार्च को कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश जिसमें अदालत ने बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों की क्षमा से जुड़ी ऑरिजिनल फाइल मांगी थी उसका रिव्यू फाइल कर सकते हैं।

 बिलकिस के साथ हुआ था गैंगरेप

बता दें, गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आगजनी  घटना के बाद बड़ा दंगा हुआ था। जिसके बाद आरोप है कि इस दंगे के दौरान आरोपियों ने बिलकिस के साथ गैंगरेप किया था। इसके बाद उनके परिवार के 7 लोगों की हत्या भी कर दी गई थी। इस मामले में अदालत ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

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