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Bihar सरकार का कारनामा, आनंद मोहन के साथ 5 माह पहले मर चुके कैदी को भी किया रिहा

पटना। बिहार में हैरान कर देने  वाला मामला सामने आया है। बता दें, जिस बंदी की मौत नवंबर 2022 में हो चुकी थी, उसकी भी रिहाई का बिहार सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया। इस बंदी नाम पतिराम राय था। बक्सर जेल में पतिराम राय एक मर्डर केस में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा […]

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सरकार
  • April 26, 2023 6:00 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

पटना। बिहार में हैरान कर देने  वाला मामला सामने आया है। बता दें, जिस बंदी की मौत नवंबर 2022 में हो चुकी थी, उसकी भी रिहाई का बिहार सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया। इस बंदी नाम पतिराम राय था। बक्सर जेल में पतिराम राय एक मर्डर केस में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा था। उसकी उम्र 93 वर्ष हो गई थी। बीमार रहने के कारण जेल में उसका निधन हो गया था। इस बीच लोगों ने नीतीश कुमार का मजाक बनाना शुरु कर दिया लोगों का कहना था कि आनंद मोहन की रिहाई के चक्कर में बिहार सरकार ने हड़बड़ी कर दी। आनंद मोहन समेत 27 बंदी की रिहाई का नोटिफिकेशन जारी हुआ था लेकिन इसमें एक मृत बंदी का भी नाम शामिल हो गया।

14 साल भुगत चुके थे कैद

मामले को लेकर बक्सर जेल की अधीक्षक कुमार शालिनी ने बताया कि बक्सर के सिमरी निवासी राम राय मर्डर केस में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे थे। उनकी उम्र तकरीबन 93 वर्ष हो गई थी। इसी कारण पहले ही कारा एवं सुधार विभाग को उनकी रिहाई के लिए पत्र लिखा गया था। वह 14 वर्ष की सजा भुगत चुके थे। ऐसे में राज्य सरकार ने कैदियों की रिहाई की घोषणा की तो उसमें राम राय का भी नाम था। उनका पिछले वर्ष के नवंबर माह में उनका निधन हो चुका है।

वहीं बिहार सरकार द्वारा जारी किए गए 27 बंदी में 3 बंदियों को बुधवार को बक्सर से रिहा कर दिया गया। हालांकि, एक बंदी रामाधार राम को राहत नहीं मिल पाई क्यों कि उसने 7 हजार रुपये का जुर्माना जमा नहीं करवाया। अन्य तीनों को कागजी प्रक्रिया पूरी करवाने के बाद रिहा कर दिया गया।

जेल में बंद है 90 साल के कैदी

कारा अधीक्षक कुमारी शालिनी की मानें तो बक्सर ओपन जेल में 90 साल से अधिक उम्र के आजीवन कारावास के सजावार बंदियों की संख्या 4 से 5 के बीच में है। यह सभी बंदी अपनी अंतिम सांस तक जेल में सजा भुगतेंगे। इनकी शारीरिक अवस्था ऐसी हो गई है कि दैनिक क्रिया कर्म में भी इन्हें परेशानी होती है, इसके अलावा ना तो इन्हें आंखों से स्पष्ट दिखाई देता है और ना ही ठीक से चल पाते हैं। उन्होंने कहा कि कारा एवं सुधार विभाग से ऐसे बंदियों की रिहाई के लिए समय-समय पर अनुरोध किया जाता रहता है और वहां से आदेश मिलने के बाद राष्ट्रीय पर्व या अन्य अवसरों पर उनकी रिहाई भी होती है।

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