नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के यहां करोड़ों की बरामदगी को लेकर बुड़ा खुलासा हुआ है. यह खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि खुद सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस के घर के अंदर का वीडियो जारी करके किया है. तस्वीरों में जले हुए नोट साफ दिख रहे हैं.सबसे बड़ा सवाल है कि दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर इतना कैश कहां से आया. सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच के लिए कमेटी बना दी है. फायर डिपार्टमेंट ने शुरू में कहा था कि जस्टिस वर्मा के यहां से कैश की बरामदगी नहीं हुई थी जबकि सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस के ट्रांसफर और जांच को अलग अलग मामला बताया था. अब जो खुलासा हुआ है उसमें कुछ और ही कहानी निकल कर आ रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने बनाई जांच कमेटी
रिपोर्ट के हवाले से जानाकारी दी गई है कि जिस कमरे में आग लगी थी वहां आग बर काबू पाने के बाद, 4-5 अधजली बोरियां मिली, जिनके अंदर भारतीय मुद्रा भरे होने के अवशेष मिले हैं. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी है और उसके साथ ही जस्टिस वर्मा का जवाब भी. इस तरह से तीन रिपोर्ट है, एक पुलिस की, दूसरी दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की और तीसरी रिपोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा का पक्ष है.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि पूरे मामले की जांच के लिए एक कमेटी बना दी गई है. इसके तीन सदस्य होंगे जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से कहा गया है कि फिलहाल जस्टिस यशवंत वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए.
Burnt bundles of currency notes recovered from Justice Verma’s residence
पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा
पुलिस आयुक्त ने चीफ जस्टिस को बताया है कि आग लगने के बाद पीसीआर कॉल जस्टिस वर्मा के निजी सचिव ने की थी. निजी सचिव को एक नौकर ने आग लगने की सूचना दी. अग्निशमन सेवा को अलग से सूचना नहीं दी गई थी. पीसीआर से संपर्क करने पर आग से संबंधित सूचना स्वतः ही दिल्ली अग्निशमन विभाग को चली गई. जिस स्टोर रूम में आग लगी गार्ड रूम के बगल में है, जहां CRPF का बटालियन 70ए तैनात है.और स्टोर रूम को बंद रखा जाता था. जस्टिस वर्मा के आवास पर तैनात सुरक्षा गार्ड के मुताबिक 15 मार्च की सुबह कुछ मलबा और अधजले सामान को हटा दिया गया था. वर्णित परिस्थितियों में मेरी प्रथम दृष्टया राय है कि पूरे मामले की गहन जांच हो.
दिल्ली HC के चीफ जस्टिस ने क्या दी रिपोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने जो जांच का विवरण दिया है उसके मुताबिक जस्टिस यशवंत वर्मा के मोबाइल फोन नंबर के पिछले छह महीने यानी 1.9.2024 से आज तक के कॉल रिकॉर्ड और आईपीडीआर पुलिस आयुक्त से मांगा गया था जो कि प्राप्त हो गये हैं. कॉल रिकॉर्ड को एक पेन में सीजेआई को भेज दिया गया है. आईपीडीआर भी सीजेआई को प्रस्तुत किया जाना है. दिल्ली पुलिस से अनुरोध किया गया कि वह पिछले छह महीनों के दौरान जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर तैनात निजी सुरक्षा अधिकारियों और सुरक्षा गार्डों का पूर्ण विवरण उपलब्ध कराये.
CJI ने क्या ब्यौरा देने को कहा था
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने 21 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को एक पत्र लिखा और उसमें जस्टिस वर्मा से जुड़ी कई जानकारयां मांगी थी. जस्टिस वर्मा अपने परिसर के कमरे में नकदी की मौजूदगी का हिसाब के बारे में क्या कहेंगे. उक्त कमरे में मिले पैसे/नकदी के स्रोत बताएं. वह व्यक्ति कौन है जिसने 15 मार्च, 2025 की सुबह कमरे से जले हुए पैसे/नकदी को हटाया?
इसके अलावा सीजेआई ने पिछले छह महीनों के दौरान जस्टिस वर्मा के आवास पर तैनात हाईकोर्ट रजिस्ट्री के कर्मचारियों, निजी सुरक्षा अधिकारियों और सुरक्षा गार्डों का विवरण भी देने को कहा. जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक या अन्य मोबाइल फोन नंबरों के पिछले छह महीनों के कॉल रिकॉर्ड विवरण उपलब्ध कराने के लिए मोबाइल सेवा प्रदाताओं से कहा जा सकता है. इस पत्र के बाद ही दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने पेन ड्राइव में जरूरी जानकारी मुहैया कराई.
जस्टिस वर्मा बोले उनके खिलाफ साजिश
दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को दिये अपने जवाब में जस्टिस यशवंत वर्मा ने कहा है कि उनके आवास पर नकदी मिलने के आरोप उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश लगती है. उन्होंने या उनके परिवार के किसी सदस्य ने स्टोर रूम में कभी भी कोई नकदी नहीं रखी. जस्टिस वर्मा के मुताबिक “मैं इस आरोप के पूरी शिद्दत से खंडन करता हूं कि हमने स्टोर रूम से मुद्रा निकाली.
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