नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की क्येरिटव पिटीशन यानी उपचार याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें केंद्र ने भोपाल गैस त्रासदी को लेकर डाउ केमिकल्स से अतिरिक्त मुआवजे की मांग की थी। इससे गैस पीड़ितों के साथ केंद्र और राज्य सरकार को भी झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में दाखिल क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई जनवरी में पूरी कर ली थी। फैसला सुरक्षित रखा था और मंगलवार को यह फैसला सुनाया गया है।
बता दें कि इस याचिका में गैस पीड़ितों को यूनियन कार्बाइड से 7800 करोड़ का अतिरिक्त मुआवजा दिलाने की मांग हुई थी। लेकिन तीन दिन की दलीलों के बाद जस्टिस एसके कौल की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने इसके फैसले को 12 जनवरी को सुरक्षित रख लिया था।
केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा कि 1989 में जब सुप्रीम कोर्ट ने हर्जाना तय किया था, तब 2.05 लाख पीड़ितों को ध्यान में रखा गया था। इन वर्षों में गैस पीड़ितों की संख्या में ढाई गुणा से अधिक बढ़कर 5.74 लाख से अधिक हो चुकीहै। ऐसे में हर्जाना भी बढ़ना चाहिए। यदि सुप्रीम कोर्ट हर्जाना बढ़ाने को मान जाता तो इसका लाभ भोपाल के लाखों गैस पीड़ितों को भी मिलता। हालांकि कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज कर दिया और साफ किया कि यूनियन कार्बाइट की पैरेंट कंपनी डाउ केमिकल्स से जो वन-टाइम डील 1989 में हुई थी, उसे दोबारा नहीं खोला जा सकता है।
भोपाल गैस त्रासदी 1984 में 2-3 दिसंबर की रात को हुई थी। इस दौरान यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के एक टैंक से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस रिसने लगी थी। इस कारण बहुत से लोगों की मौत हो गई थी। इस दर्दनाक हादसे में 3787 लोगों की मौत हुई थी। हालांकि लोगों का कहना है कि सरकारी आंकड़ों में मौतों की संख्या को कम दिखाया गया है, जो वास्तव में 5000 से ज्यादा है।
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