नई दिल्ली. बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना रोज की तरह ही देश में चल रहे हिंसक आंदोलन को लेकर 5 अगस्त को भी परेशान थीं. सुबह-सुबह ढाका की सड़कों पर लगभग 4 लाख की भीड़ उमड़ आई थी और पीएम आवास की तरफ बढ़ रही थी. शेख हसीना उन्हें हरहाल में रोकना चाहती थीं […]
नई दिल्ली. बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना रोज की तरह ही देश में चल रहे हिंसक आंदोलन को लेकर 5 अगस्त को भी परेशान थीं. सुबह-सुबह ढाका की सड़कों पर लगभग 4 लाख की भीड़ उमड़ आई थी और पीएम आवास की तरफ बढ़ रही थी. शेख हसीना उन्हें हरहाल में रोकना चाहती थीं लिहाजा तीनों सेनाओं और पुलिस चीफ को आवास पर तलब कर रखा था. सभी समय से पहुंच गये थे. अंदर शेख हसीना अपनी बहन रेहाना के साथ उदास-परेशान बैठी हुई थीं.
बातचीत बहन के सामने ही शुरू हुई, आगे बढ़ रही भीड़ को रोको, तभी आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमान ने कहा कि अब रोकना मुश्किल है. यदि रोकने की कोशिश की गई तो हजारो लोग मारे जाएंगे. उसके एक दिन पहले यानी रविवार को 100 लोग मारे गये थे. इसी दौरान शेख हसीना ने आर्मी चीफ और एक पुलिस अफसर को झिड़का भी लेकिन सबने हाथ खड़े कर दिये. बहन रेहाना ने जब देखा कि सवाल जवाब का सिलसिला बढ़ रहा है और अफसर कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं तब उन्होंने अकेले में बातचीत करने की सलाह दी.
न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक आर्मी के तीनों चीफ की तत्कालीन बांग्लादेश पीएम से अकेले में भी बात हुई. शेख हसीना ने दो टूक कहा कि हरहाल में भीड़ रोकिए जबकि अफसर कह रहे थे कि इस्तीफा देकर यहां से निकल लीजिए लेकिन वह तैयार नहीं थी. भीड़ बढ़ती चली आ रही थी. सभी जब बाहर निकले तो चेहरे पर तनाव था और शेख हसीना परेशान और गंभीर.
खबरों की मानें तो आर्मी चीफ पूरी तैयारी करके आये थे कि हसीना से इस्तीफा दिलाकर उन्हें देश से बाहर भेजना है और अस्थाई रूप से सेना सत्ता संभालेगी लेकिन शेख हसीना झुकने को तैयार नहीं थीं. वकार को जब कुछ नहीं सूझा तो उन्होंने अमेरिका में रह रहे शेख हसीना के बेटे वाजेद जॉय को फोन लगा दिया और पूरी बात बताई, मां को समझाने को कहा और फोन शेख हसीना को पकड़ा दिया. बहुत मुश्किल से उन्होंने बेटे की बात मानी और फोन रखते समय हां कहा.
तब तक 1 बज चुके थे, पीएम के स्टाफ को भनक लग गई थी. उनसे कहा गया कि एक रिकार्डिंग करनी है, वो उसकी तैयारी में जुट गये लेकिन रिकार्डिंग के लिए जरूरी इक्वीपमेंट से लैस ट्रक वहां पहुंचने की बजाय आर्मी हैडक्वार्टर चला गया. देश के नाम संदेश की रिकार्डिंग नहीं हो पाई. इसके बाद सबसे बड़ी समस्या यह थी कि शेख हसीना को कैसे बाहर निकाला जाय. मुख्य गेट और पीछे के गेट पर भीड़ पहुंच गई थी. काफिले में 12 गाड़ियां थी जो कि उन्हें लेकर मेन गेट से निकलना चाहती थी लेकिन नहीं निकल पाई.
फिर पीछे के गेट से सेना की बख्तरबंद गाड़ियों की मदद से पहले हेलीपैड और वहां से हेलिकॉप्टर से एयरफील्ड पहुंची. फिर उन्हें एयरक्रॉफ्ट से भारत रवाना किया गया. साथ में आर्मी और सुरक्षा में शामिल बेड़ा भी चल रहा था. इसी दौरान भारत से पहले शेख हसीना के भारत में कुछ दिन रुकने और बाद में एयरक्राफ्ट के प्रवेश की इजाजत मांगी गई.
सूत्रों के मुताबिक भारत को दूतावास और अन्य श्रोतों के जरिए लगातार जानकारी मिल रही थी और राष्ट्रीय सुरक्ष सलाहकार अजित डोभाल सारा इंतजाम कराने में जुटे हुए थे. 5 अगस्त की शाम करीब 6 बजे हसीना का एयरक्राफ्ट सी-130 हिंडन एयरबेस पर लैंड हुआ तब दोनों देशों के अफसरों की जाना में जान आई. उधर आर्मी चीफ ने शेख हसीना के देश छोडने के बाद चुनिंदा अफसरों और विपक्षी नेताओं के साथ बैठक की और ऐलान किया कि शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है और हम सत्ता संभालेंगे. अंतरिम सरकार बनाएंगे और सबको इंसाफ दिलाएंगे.
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