नई दिल्ली। पूर्वोत्तर के तीन राज्यों मेघालय, त्रिपुरा और नागालैंड में हुए विधानसभा चुनावों की मतगणना सुबह 8 बजे से शुरू हो गई है। त्रिपुरा में एक चरण में 16 फरवरी और मेघालय, नागालैंड में 27 फरवरी को मतदान हुए थे। इस दौरान त्रिपुरा के शुरूआती रूझान में भाजपा 23 सीटों और लेफ्ट का गठबंधन 3 सीटों पर आगे चल रहा है। फिलहाल त्रिपुरा में कांग्रेस के सुदीप देव बर्मन अगरतला सीट से और भाजपा के माणिक साहा टाउन बोरदोवाली सीट से आगे चल रहे है।
बता दें, त्रिपुरा विधानसभा चुनावों के नतीजे दोपहर तक स्पष्ट हो जाएंगे। इससे पहले मुख्यमंत्री डॉक्टर माणिक साहा ने त्रिपुरा सुंदरी मंदिर पहुंचकर भगवान का आशीर्वाद लिया। इस दौरान उनके साथ संबित पात्रा भी मौजूद रहे।
अगर 2018 के विधानसभा चुनावों की बात की जाए तो Tripura की 60 सदस्यीय विधानसभा में 25 सालों से सत्ता में बैठी लेफ्ट फ्रंट को हटाकर भाजपा ने बहुमत प्राप्त किया था। इस बार भाजपा फिर मुख्यमंत्री माणिक साहा के चेहरे के साथ 55 सीटों पर मैदान में है, इसके अलावा भाजपा की सहयोगी पार्टी इनडाइजेनस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा ने 5 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। बता दें पिछले चुनावों में बीजेपी की जीत में आदिवासी वोटर ने बड़ी भूमिका निभाई थी। पश्चिमी Tripura में भाजपा ने 14 सीटों में 12 सीट पर जीत हासिल की थी।
वही मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर इस बार सीपीएम 47 सीटों पर तो 13 सीटों पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। बता दें, Tripura में पहली बार वाम मोर्चा और कांग्रेस के बीच पहली बार सीटों का बंटवारा हुआ है। इससे पहले यह दोनों पार्टियां एक-दूसरे की कट्टर विरोधी थी। दोनों पार्टियां इस बार लोकतंत्र की बहाली और कानून के राज को वापस लाने के लिए साथ आई है। उनका मानना है कि भाजपा ने लोकतंत्र खत्म कर दिया है।
इसके अलावा चुनाव में प्रद्योत किशोर माणिक्य की पार्टी टीआईपीआरए मोथा भी अपने “ग्रेटर टिपरालैंड” बनाने के वादे के साथ मैदान में है। इस पार्टी की स्थापना पूर्ववर्ती त्रिपुरा शाही परिवार प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा के वंशज है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रद्योत देबबर्मा की पार्टी 20 आदिवासी सीटों पर बीजेपी का गेम खराब कर सकती है। इनकी पार्टी ने कुल 42 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जहां पर 22 गैर आदिवासी सीटों पर चुनाव लड़ रहे है।
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