अजित पवार ने की एकनाथ शिंदे से मुलाकात, संजय राउत बोले – मुझे नहीं लगता वो ऐसा करेंगे

मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अजीत पवार ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की, दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म है। इसी बीच शिवसेना (उद्धव गुट)  के नेता और सासंद संजय राउत के बयान ने विपक्ष की चिंताओं को उजागर कर दिया है। बता दें, संजय राउत ने […]

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अजित पवार ने की एकनाथ शिंदे से मुलाकात, संजय राउत बोले – मुझे नहीं लगता वो ऐसा करेंगे

Vikas Rana

  • April 13, 2023 12:03 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अजीत पवार ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की, दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म है। इसी बीच शिवसेना (उद्धव गुट)  के नेता और सासंद संजय राउत के बयान ने विपक्ष की चिंताओं को उजागर कर दिया है। बता दें, संजय राउत ने अजित पवार को सलाह देते हुए कहा कि उनका भविष्य राकंपा में ही उज्जवल है और वे शायद भाजपा में शामिल नहीं होंगे।

क्या बोले संजय राउत

राउत ने कहा कि, अजित पवार राकांपा के वरिष्ठ नेता है। मुझे नहीं लगता वे भाजपा में जाएंगे। अजित पवार का भविष्य राकंपा में सुरक्षित है। राउत ने कहा कि, मुझे नहीं लगता अजित पवार भाजपा में शामिल होकर उनके गुलाम बनेंगे। हमें अजीत पवार पर पूरा भरोसा है।

उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में हम अजित पवार और कांग्रेस नेता नाना पटोले के साथ बातचीत करेंगे। 16 मई को नागपुर में हमारी रैली है, उस रैली से पहले ही हम उनसे बात करेंगे। वहीं शरद पवार को लेकर राउत ने कहा कि राकांपा के सुप्रीमो शरद पवार हम लोगों के अभिभावक है और हम उनके साथ हैं। कल ही मैंने और उद्धव ठाकरे जी ने शरद पवार के साथ कई मुद्दों को लेकर बातचीत की है। हमारा जुड़ाव फेविकोल की तरह है और इसे कोई अलग नहीं कर सकता।

शरद पवार से की मुलाकात

इससे पहले उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार से उनके आवास पर मुलाकात की थी। मुंबई के सिल्वर ओक में हुई इस मुलाकात के दौरान शिवसेना ( उद्धव गुट) के नेता और सांसद संजय राउत भी मौजूद थे। बता दें, उद्धव ठाकरे और शरद पवार की मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब हाल ही में शरद पवार ने अडाणी समूह के खिलाफ लगे आरोपों की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराने की जगह उच्चतम न्यायालय की एक समिति द्वारा जांच कराए जाने का समर्थन किया था।

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