बांग्लादेश में शेख हसीन के तख्तापलट के बाद उठा सियासी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है. यूनुस सरकार के कामकाज से पहले सेना प्रमुख जनरल वकर-उज़-ज़मान ने असहमति जताई और व्यवस्था को कंट्रोल में लेने की बात कही और अब बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) इतिहास पलटने की कोशिशों से नाराज है. आवामी लीग की धुर विरोधी बीएनपी ने वो स्टैंड लिया है जो कभी आवामी लीग की होती थी. पार्टी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा है कि यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि 1971 कभी हुआ ही नहीं… इसे यादों से मिटाने की कोशिशे चल रही हैं.
मेरे दोस्त, जो कभी नरसंहार में सहयोग किये. वो ज्यादा जोर से बोल रहे हैं. आगे जोड़ा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व में 1971 के मुक्ति संग्राम के महत्व को कमतर आंकने की कोशिश हो रही है. इस तरह के प्रयास युद्ध में किये गये बलिदान का महत्व कम कर रहे हैं. मतलब एकदम साफ है कि बांग्लादेश मुक्ति संग्राम को कमतर आंकने की जो कोशिश हो रही है. बीएनपी को यह बुरा लग रहा है. युनूस सरकार और बीएनपी में मतभेद का सबसे बड़ा मुद्दा चुनाव है. युनूस साल के अंत तक चुनाव कराने की तैयारी कर रहे हैं जबकि बीएनपी इससे पहले चुनाव चाहती है.
उधर सेना से युनूस सरकार का अलग टकराव चल रहा है और रोज नये ट्विस्ट आ रहे हैं. दो दिन पहले खबर आई की बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज़-ज़मान की हसीना सरकार की कुर्सी खिसकाने वाले 27 वर्षीय छात्र नेता हसनत अब्दुल्लाह और सरजिस आलम से 11 मार्च को मुलाकात हुई. बांग्लादेश में सत्ता बदलने के बाद हसनत समेत अन्य छात्र नेताओं ने एक राजनीतिक दल का गठन किया है. गुप्त बैठक और उसमें हुई बातचीत उस समय सार्वजनिक हो गई जब हसनत अब्दुल्लाह ने सब कुछ सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया.
जानकारी के मुताबिक मीटिंग के दौरान उन्हें प्रस्ताव दिया गया कि वे आवामी लीग को बांग्लादेश की राजनीति में फिर से आने दें. इसके बदले में उन्हें राजनीतिक फायदा दिया जाएगा. हसनत ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा था, कुछ दिन पहले मैंने आपको रिफाइंड आवामी लीग के नाम पर एक नई साजिश के बारे में बताया था.यह भारत की योजना है. हालांकि गोपनीय बैठक को सार्वजनिक करने पर दूसरे छात्र नेता सरजिस ने चेतावनी दी है कि इस तरह की चर्चा के विवरण को सार्वजनिक करने से “भविष्य में किसी भी हितधारक के साथ महत्वपूर्ण संवादों में विश्वास की कमी पैदा हो सकती है.सरजिस आलम ने कथित रूप से रिफाइन्ड आवामी लीग की राजनीति में वापसी वाली बात पर कहा कि उन्हें मुलाकात के दौरान ऐसा नहीं लगा कि उन पर दबाव डाला गया हो.
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