नई दिल्ली. देश की राजधानी में सोमवार को शुरू हुए ‘रायसीना डायलॉग’ के 10वें संस्करण में देश विदेश की बड़ी हस्तियां शिरकत कर रही हैं. भू-राजनीति और भू-आर्थिकी पर केंद्रित तीन दिवसीय सम्मेलन में 125 देशों के 3500 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं जिसमें न्यूजीलैंड के पीएम क्रिस्टोफर लक्सन प्रमुख हैं. इसी सम्मेलन में बोलते हुए कांग्रेस नेता शशि थरूर ने मंगलवार को स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर 2022 में जो रुख उन्होंने अपनाया था, वह सही नहीं था. इसका उन्हें बेहद अफसोस है.
थरूर ने की PM मोदी की तारीफ
उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ की और कहा कि तीन साल बाद ऐसा लगता है कि मैं ही बेवकूफ बन गया. भारत के पास वास्तव में एक ऐसा प्रधानमंत्री है जो दो सप्ताह के अंतराल में यूक्रेन और रूस दोनों देशों के राष्ट्रपतियों को गले लगा सकता है.
थरूर ने पहले की थी भारत की आलोचना
दरअसल, साल 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत के सामने सबसे बड़ा सवाल यह था कि वह किसके साथ जाए. अमेरिका के नेतृत्व में पूरा यूरोप यूक्रेन के साथ खड़ा था और दूसरी तरफ रूस अकेले था जिसे गिनती के देशों का समर्थन मिल रहा था. अमेरिका का पूरा दबाव था कि भारत पश्चिम के साथ खुलकर आये लेकिन पीएम मोदी ने ऐसा नहीं किया. भारत ने साफ कहा कि वह शांति के पक्ष में खड़ा है. उसने कभी रूस की आलोचना नहीं की लेकिन जब भी बोलने की बारी आई, साफ साफ कहा कि यह युद्ध का समय नहीं है, बातचीत से समस्या का समाधान होना चाहिए.
थरूर बोले पीएम मोदी ही ऐसा कर सकते हैं
युद्ध के दौरान पीएम मोदी दो हफ्ते के अंतराल पर रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की दोनों से मिले और दोनों को शांति वार्ता का सुझाव दिया. युद्ध की शुरुआत में कांग्रेस नेता और विदेश नीति के विशेषज्ञ माने जाने वाले शशि थरूर ने भारत सरकार के स्टैंड की आलोचना की. उस समय उन्होंने संसद में कहा था कि भारत की रूस-यूक्रेन युद्ध पर चुपी यूक्रेन और उसके समर्थकों के लिए निराशाजनक है. बेशक रूस हमारा दोस्त है और उसकी कुछ वैध सुरक्षा चिंताएं हो सकती हैं, लेकिन भारत का अचानक चुप हो जाना दुर्भाग्यपूर्ण है.
शशि थरूर ने मान ली अपनी गलती
रायसीना डायलॉग 2025 में शशि थरूर से सवाल पूछा गया कि रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के स्टैंड को देखते हुए क्या वह मानेंगे कि भारत ने जो रुख अपनाया, वह सही था? इस पर शशि थरूर ने बिना लाग लपेट के कहा कि तीन साल बाद उन्हें अपनी उस स्थिति पर अफसोस है. उन्हें शर्मिंदगी जैसा अहसास हो रहा है. उन्होंने कहा कि अब मुझे अफसोस है कि जो रुख मैंने अपनाया था, वह सही नहीं था. फरवरी 2022 में संसदीय बहस में मैं अकेला शख्स था जिसने भारत सरकार आलोचना की थी. अब लगता है कि मोदी सरकार ने बिल्कुल सही स्टैंड लिया. उस नीति के कारण भारत आज ऐसी स्थिति में है जहां वह स्थायी शांति के लिए अपनी भूमिका निभा सकता है.
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