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जेडीयू में डैमेज कंट्रोल की कोशिश…मुस्लिम नेताओं ने बुलाई PC, प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवालों से भागे मुस्लिम नेता

बिहार में वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को लेकर सियासी घमासान चरम पर है. सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में इस मुद्दे पर अंदरूनी कलह साफ दिखाई दे रही है. हाल ही में संसद के दोनों सदनों से पारित इस विधेयक का जेडीयू ने समर्थन किया था. जिसके बाद पार्टी के मुस्लिम नेताओं में नाराजगी की खबरें सामने आईं. इस विवाद को शांत करने के लिए शनिवार 5 अप्रैल 2025 को जेडीयू के मुस्लिम नेताओं ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई. लेकिन यह प्रयास उल्टा पड़ गया. जब सवालों का सामना करने के बजाय नेता बिना जवाब दिए पीसी छोड़कर चले गए.

वक्फ बिल
inkhbar News
  • April 5, 2025 4:19 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 days ago

Waqf Bill: बिहार में वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को लेकर सियासी घमासान चरम पर है. सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में इस मुद्दे पर अंदरूनी कलह साफ दिखाई दे रही है. हाल ही में संसद के दोनों सदनों से पारित इस विधेयक का जेडीयू ने समर्थन किया था. जिसके बाद पार्टी के मुस्लिम नेताओं में नाराजगी की खबरें सामने आईं. इस विवाद को शांत करने के लिए शनिवार 5 अप्रैल 2025 को जेडीयू के मुस्लिम नेताओं ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई. लेकिन यह प्रयास उल्टा पड़ गया. जब सवालों का सामना करने के बजाय नेता बिना जवाब दिए पीसी छोड़कर चले गए. विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने इसे ‘जबरदस्ती का डैमेज कंट्रोल’ करार दिया.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में कौन-कौन शामिल हुआ?

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में जेडीय के कई प्रमुख मुस्लिम नेता मौजूद थे. जिनमें शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अफजल अब्बास, जेडीयू अल्पसंख्यक सेल के अध्यक्ष अशरफ अंसारी, एमएलसी गुलाम गौस, पूर्व राज्यसभा सांसद अशफाक करीम, सुन्नी वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष अंजुम आरा, कहकशा परवीन और सलीम परवेज शामिल थे. खास बात यह रही कि गुलाम गौस, अफजल अब्बास और अशफाक करीम, जो पिछले तीन दिनों से वक्फ बिल का खुलकर विरोध कर रहे थे. इस पीसी में मौजूद थे. लेकिन जब उनकी मौजूदगी और स्टैंड पर सवाल उठे तो वे जवाब देने के बजाय उठकर चले गए.

‘सुझाव मान लिए गए, फिर भी असंतोष क्यों?’

प्रेस कॉन्फ्रेंस में जेडीयू नेता अंजुम आरा ने दावा किया कि पार्टी ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को वक्फ बिल के लिए जो पांच सुझाव दिए थे. वे सभी स्वीकार कर लिए गए हैं. उन्होंने कहा ‘हमारे सुझावों को शामिल करने के बाद यह बिल पारित हुआ है.’ हालांकि इसके बाद नेताओं ने सवाल-जवाब का सत्र शुरू होने से पहले ही पीसी समाप्त कर दी. जिससे विवाद और गहरा गया. मीडिया यह जानना चाहती थी कि यदि सब कुछ ठीक है तो फिर पार्टी के मुस्लिम नेताओं में नाराजगी और इस्तीफे क्यों हो रहे हैं?

‘हमारे नेता नीतीश के साथ’

जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने स्थिति को संभालते हुए कहा ‘यह लोकतंत्र है. कोई जबरदस्ती नहीं हो सकती. हमारे नेता नीतीश कुमार के साथ लंबे समय से कदमताल कर रहे हैं. अब जब बिल को लेकर भ्रांतियां दूर हो गई हैं तो सही बात जनता तक पहुंचाना जरूरी है.’ वहीं एमएलसी खालिद ने जोड़ा ‘हमारे सभी नेता नीतीश कुमार और प्रोग्रेसिव पार्टी के साथ हैं. केंद्र ने कहा कि यह बिल लोगों की भलाई के लिए है और हमने इसे माना.’ लेकिन इन दावों के बावजूद सवालों से बचने की कोशिश ने पार्टी की एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए.

नेताओं का मौन और भागमभाग

जब आजतक ने अशफाक करीम से पूछा कि क्या वे अब बिल के समर्थन में हैं तो वे बिना कुछ बोले अपनी कार में बैठकर चले गए. इसी तरह शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अफजल अब्बास से उनके स्टैंड में बदलाव पर सवाल किया गया लेकिन वे भी जवाब देने के बजाय दाएं-बाएं देखते हुए निकल गए. गुलाम गौस भी साइड में बैठे दिखे लेकिन उन्होंने कोई बयान नहीं दिया. यह व्यवहार जेडीयू के डैमेज कंट्रोल के दावे को कमजोर करता दिखा.

‘धमकी देकर कराई PC’

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने इस घटना पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा ‘जेडीयू के मुस्लिम नेताओं को धमकी देकर और जबरदस्ती प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैठाया गया. उन्हें कहा गया कि अगर एमएलसी बने रहना है तो चुपचाप बैठो. यह नीतीश कुमार की पार्टी में लोकतंत्र का हाल है.’ तेजस्वी के इस बयान ने बिहार की सियासत में एक नया विवाद खड़ा कर दिया.

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