पटना. बिहार में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए की हार पर बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री हुकुमदेव यादव ने कहा है कि बिहार के लोगों को लगा कि बीजेपी आरएसएस की गुलाम है और संघ ने आरक्षण की समीक्षा करने कह दिया है तो बीजेपी की सरकार आरक्षण खत्म करेगी.
हुकुमदेव के बेटे अशोक यादव विधानसभा चुनाव में दरभंगा की केवटी सीट से बीजेपी के टिकट पर लड़े थे लेकिन आरजेडी के फराज़ फातमी ने अशोक को करीब 8 हजार वोट से हरा दिया. फराज़ फातमी भी आरजेडी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अली अशरफ फातमी के बेटे हैं.
अंग्रेजी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस से हुकुमदेव नारायण यादव ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण वाले बयान पर कहा, “लालू और नीतीश ने इसे एक मुद्दा बना दिया तो बीजेपी कैसे इसे मुद्दा बनने से रोक सकती थी. लोगों को लगा कि बीजेपी कुछ नहीं है. जो संघ का आदेश होगा, ये संघ का हुकुम मानने वाले हैं. संघ का गुलाम है ये. संघ जो हुकुम करेगा तो ये मानेगा. संघ के प्रधान ने कहा है कि आरक्षण की समीक्षा करो.”
यादव ने कहा, “बीजेपी और पीएम मोदी ने साफ किया कि हम अपनी जान लगा देंगे लेकिन आरक्षण खत्म नहीं होने देंगे फिर भी पिछड़ों और दलितों को भरोसा नहीं हुआ. उन्हें लगा कि जब संघ वाले ने कह दिया है कि आरक्षण की समीक्षा करेंगे तो आरक्षण खत्म होगा. अगर बीजेपी की सरकार बनी तो राज्य में पिछड़ों को कर्पूरी ठाकुर सरकार में मिला 26 परसेंट आरक्षण छिन जाएगा. उन्हें डर हो गया.”
पांच बार सांसद बन चुके यादव ने कहा, “यूपी और बिहार बहुत संवेदनशील इलाके हैं. गीता में भगवान कृष्ण ने कहा भी है कि जगह, समय और आदमी को देखकर काम करना चाहिए. जातिगत ध्रुवीकरण हो गया और अति पिछड़े इस डर से दूसरे कैंप में चले गए कि बीजेपी सरकार आरक्षण छीन लेगी. जाति के नाम पर लोग अंधे हो जाते हैं और तब कोई तर्क काम नहीं करता. लालू अपने समर्थकों से गंगा में कूदने कहते तो वो ये भी करते. वो लालू की बातों से अभिभूत थे.”
राज्य में बीजेपी को चला रहे नेताओं को ‘पटनिया नेता’ बताते हुए यादव ने कहा कि पटनिया नेताओं को जमीनी हकीकत का पता ही नहीं था. उन्होंने कहा, “लोग बिहार की धरती से वाकिफ नहीं हैं. बिहार के लोगों ने आर्थिक गैर-बराबरी से ज्यादा सामाजिक गैर-बराबरी के खिलाफ संघर्ष किया है. लोगों ने दो चीजों का सामना किया था, एक तो लालू का जंगलराज था और दूसरा ऊंची जातियों का आतंकराज. लालू लोगों को समझाने में कामयाब रहे कि अगर आतंकराज आ गया तो तुम्हारे पास जो भी है वो सब छिन जाएगा. इज्जत छीन ली जाएगी और तुम फिर से गुलाम बना लिए जाओगे. बिहार की पिछड़ी जातियां सामाजिक अधिकार और सामाजिक बराबरी के लिए एकजुट हो गईं.”