बिहार की राजनीति में 10 साल पीछे चली गई बीजेपी

बिहार विधानसभा में विधायकों की संख्या के हिसाब से इस चुनाव में बीजेपी 10 साल पीछे चली गई है. पार्टी जब अक्टूबर, 2010 में नीतीश कुमार के साथ मिलकर लड़ी था तब उसे 55 सीटें मिली थी और नीतीश से 17 साल पुराना तालमेल टूटने के बाद पहले विधानसभा चुनाव में बीजेपी 55 से नीचे 53 सीट पर लौट गई है.

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बिहार की राजनीति में 10 साल पीछे चली गई बीजेपी

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  • November 8, 2015 3:07 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
पटना. बिहार विधानसभा में विधायकों की संख्या के हिसाब से इस चुनाव में बीजेपी 10 साल पीछे चली गई है. पार्टी जब अक्टूबर, 2010 में नीतीश कुमार के साथ मिलकर लड़ी था तब उसे 55 सीटें मिली थी और नीतीश से 17 साल पुराना तालमेल टूटने के बाद पहले विधानसभा चुनाव में बीजेपी 55 से नीचे 53 सीट पर लौट गई है.
 
राज्य में लालू यादव का राष्ट्रीय जनता दल सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरा है जिसे 80 सीटें मिली हैं. नीतीश कुमार का जेडीयू 71 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर है. बीजेपी अब राज्य विधानसभा में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है. कांग्रेस पार्टी ने बहुत दिन बाद बिहार में ऐसा प्रदर्शन किया है और इस विधानसभा में उसके 27 विधायक होंगे.
 
1985 में चुनाव में बिहार में बीजेपी को 16 सीटें मिली थीं. 1990 के चुनाव में पार्टी ने अपनी सीटें बढ़ाकर 39 कर ली. 1995 के चुनाव में बीजेपी 41 सीट तक पहुंच गई. 2000 के चुनाव में पार्टी वापस 39 सीट पर लौट आई. फरवरी, 2010 में जब चुनाव हुए तो पार्टी को 37 सीटें मिली. उसी साल अक्टूबर में जब चुनाव हुए तो पार्टी की सीटें कुछ और बढ़कर 55 पर पहुंच गई.
 
नीतीश के साथ बीजेपी ने आखिरी विधानसभा चुनाव 2010 में लड़ा था जब वो 102 सीटों पर लड़ी और उसे 91 पर जीत मिली. विधानसभा में बीजेपी की यह सबसे मजबूत उपस्थिति रही. जेडीयू उस चुनाव में 141 सीटों पर लड़ा जिसमें 115 सीटें उसने जीती थी.

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