नई दिल्ली : New Delhi भोजपुरी सिनेमा के जस्टिन बीबर कहे जाने वाले अरविंद अकेला उर्फ कल्लू Arvind akela Kalluजी, सिर्फ 8 साल की उम्र में ही गाना शुरू कर दिया था. उस वक्त किसी को अंदाजा भी नहीं रहा होगा, कि आने वाले समय में ये लड़का भोजपुरी का इतने बड़ा स्टार बन जाएगा, […]
भोजपुरी सिनेमा के जस्टिन बीबर कहे जाने वाले अरविंद अकेला उर्फ कल्लू Arvind akela Kalluजी, सिर्फ 8 साल की उम्र में ही गाना शुरू कर दिया था. उस वक्त किसी को अंदाजा भी नहीं रहा होगा, कि आने वाले समय में ये लड़का भोजपुरी का इतने बड़ा स्टार बन जाएगा, जो गायकी के साथ-साथ ऐक्टिंग में भी बहुत बड़ा मुकाम हासिल कर लेगा, और सच में कल्लू को भी यह सब आज भी ख्वाब जैसा लगता है, लेकिन कड़ी मेहनत और काम के प्रति समर्पण ने अरविंद अकेला को आज वहां पहुंचा दिया है, जहां कुछ भोजपुरी के चुनिंदा स्टार्स ही पहुंचे हैं।
अरविंद अकेला Arvind akela Kallu कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को लेकर बहुत घबरा गए. वे लॉकडाउन की पूरी समयावधि के दौरान घर पर ही रहे. इस दौरान उन्होंने अपने पिता का एक प्यारा सा सपना पूरा किया. उन्होने बिहार में बक्सर स्थित अहिरौली में अपने पिताजी के लिए एक शानदार घर बनवाया, इस घर पर कल्लू ने मोटो मोटे अक्षरों से ‘जय बिहार’ लिखवाया है।
कोरोना के बढ़ते कहर के बीच उन्होने सबसे पहले अपने फैंस से अपील कि. कि वे घर में रहें और सुरक्षित रहें. आगे उन्होंने कहा, पीएम नरेंद्र मोदी ने जब अपील की थी, उसके बाद से ही वे सभी घर पर ही हैं, और सभी के सुरक्षित रहने की कामना करते हैं।
अरविंद अकेला से Arvind akela Kallu कल्लू और फिर कलुआ के सवाल पर उन्होने सबसे पहले तो हंस दिया उसके बाद बोले आइये आपको विस्तार से बता देते हैं. बचपन में गायक था तो सिर्फ अरविंद नाम था. उसके बाद जब थोड़ा बड़ा हुआ तो लोगों को लगा कि गायकों का नाम कुछ अलग लगना चाहिए. तो अकेला लगा लिया. दोस्तों ने भी इस नाम की खूब तारीफ की और इसे हाथों हाथ लिया.
अकेला Arvind akela Kallu आगे कहते हैं, ‘कि घर और आसपास के लोग कल्लू बुलाते थे, मुझे भी चर्चित होने के लिए जरूरी था कि मेरा नाम ऐसा हो जिसे सब जानते हों लेकिन नाम छोटा हो, बस फिर क्या था मैं कल्लू भी जोड़ लिया नाम के साथ।
उसके बाद जो कलुआ की कहानी है तो वह मुझे चाहने वाले प्यारे फैंस की देन है. दर्शक कल्लू Arvind akela Kalluकी जगह हमें कलुआ बुलाने लगे. ये बिहार में ‘आ’ लगाने का जो सिस्टम है वह बहुत प्यारा है. वहीं से मैं कल्लू Arvind akela Kallu कलुआ बन गया । शुरू में मुझे थोड़ा अजीब लगा। लेकिन जनता हमारे लिए भगवान है और अगर नाम भगवान ने दिया है तो फिर सर आंखों पर सजाना जरूरी है. यहीं से मैं कलुआ बन गया
तो कलुआ Arvind akela Kallu कहने पर बुरा लगता है? सवाल पर कल्लू अपने दोनों कान हाथ से टच करते हैं और कहते हैं, ‘अरे आप क्या कह रहे हैं? अपने फैंस से भी कोई नाराज होता है क्या? अरे उन्हीं लोगों की बदौलत तो हम हैं. जब भी वे हमें कलुआ बुलाते हैं सच कहिए तो हमें अपने नाम से भी ज्यादा अच्छा यह शब्द लगता है. फैंस हमें जो भी प्यार से बुलाएं,सबकुछ स्वीकार है।’