भोजपुरी सिनेमा

Bhojpuri Cinema: जब जहाज देखने के लिये तरस गए निरहुआ, जन्मदिन पर जानें इनकी दर्द भरी दास्तां…

नई दिल्ली : New Delhi

भोजपुरी सिनेमा (Bhojpuri Cinema) के जाने माने अभिनेता और राजनेता दिनेश लाल यादव निरहुआ (Dinesh lal yadav Nirahua) आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. हर कोई उनकी एक्टिंग और गायकी फिदा है. लेकिन इस मुकाम तक पहुंचना उनके लिए आसान नहीं था. कभी हालात ऐसे थए कि वे 20 रुपए देकर भी हवाई जहाज देखने का अपना सपना पूरा नहीं कर सके, आज भले ही चाटर्ड प्लेन से घूमते हों. इसके लिए वो बहुत मायूस हुए और इस बात की कसक उन्हें काफी दिनों तक रही. इस बात का रहस्योद्घाटन उन्होने खुद अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए किया.

तब जहाज देखने का लगता था 20रू टिकट

मालूम हो पहले कोलकाता में दम-दम एयरपोर्ट पर आप 20 रुपए देकर हवाई जहाज देख सकते थे. उस समय पर जो लोग हवाई जहाज में बैठने का सपना देखते थे और बैठ नहीं पाते थे तो उनके लिए इसे छूकर महसूस कर करने की व्यवस्था थी. और लोगों का महज 20 रुपए में जहाज को देखने छूने और महसूस करने का सपना भी पूरा हो जाया करता था. उस वक्त दिनेश लाल यादव के पिता कोलकाता में ही काम करते थे.

जब जहाज देखने का सपना रह गया अधूरा

निरहुआ भी अपने पिता के साथ ही रहकर पढ़ाई करते थे. उस दौर में उनके पिता की 3700 रुपए की इनकम हुआ करती थी. उसी से वे अपने 7 बच्चों का पेट पालते थे. एक बार निरहुआ के पिता भी उन्हें दम दम एयरपोर्ट पर हवाई जहाज दिखाने के लिए ले गए थे. मगर उनका ये सपना उस वक्त अधूरा ही रह गया.

जहाज देखने का जिक्र कर भावुक हुए निरहुआ

निरहुआ ने अपने बचपनन का एक किस्सा शेयर करते हुए फेसबुक पर भावुक कर देने वाली पोस्ट लिखी.कि पटना में शो करने के बाद वो हैदराबाद जा रहे थे. कोलकाता एयरपोर्ट पर उन्हें बचपन की एक घटना याद आ गई.

जब वे क्लास 8 में थे उन दिनों. उनके पिता उन्हें 20 रुपए की टिकट वाले दम दम एयरपोर्ट पर हवाई जहाज दिखाने ले गए. वे खुशी-खुशी हवाई जहाज देखने एअरपोर्ट पहुंचे. लेकिन वहां पहुंचकर बहुत दुखी हुए.

पहुंचने पर पता चला कि अब वो व्यवस्था बंद हो गई है. जिसमें 20 रूपए टिकट पर जहाज देखने छूने और महसूस करने को मिल जाता था. बिना जहाज देखे वो अपने पिता के साथ वहां से बेंरंग वापस आ गए.

उस समय उन्हें गुस्सा आया कि अगर गरीब आदमी जहाज में बैठ नहीं सकता तो कम से कम जहाज देखने की सुविधा तो होनी चाहिए थी. इसे नहीं खत्म करना चाहिए था.

तब उनके पिता ने उनसे कहा, अगर ईमानदारी और मेहनत से काम करोगे तो फ्लाइट से ही सफर करोगे.’ निरहुआ ने आगे लिखा

‘पिता जी के मार्गदर्शन और लोगों के आशीर्वाद से अब वो उसी एयरपोर्ट से उड़ान भरते हैं.’

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Aanchal Pandey

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