हिंगलाज माता मंदिर, पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में सिंध राज्य की राजधानी कराची से120 कि॰मी॰ में स्थित है. उत्तर-पश्चिम में हिंगोल नदी के तट पर ल्यारी तहसील के मकराना के तटीय क्षेत्र में हिंगलाज में स्थित एक हिन्दू मंदिर है.
भारत की नैतिकता इतनी ऊंची थी कि सारा संसार अपने चरित्र के अनुसार शिक्षा प्राप्त करे. ऐसी घोषणा यहां की जाती थी. नैतिकता के अंग हैं – सच बोलना, चोरी न करना, अहिंसा, दूसरों के प्रति उदारता, शिष्टता, विनम्रता, सुशीलता आदि.
कैलाश पर्वत तिब्बत में स्थित एक पर्वत श्रेणी है. इसके पश्चिम तथा दक्षिण में मानसरोवर तथा रक्षातल झील हैं. यहां से कई महत्वपूर्ण नदियां निकलतीं हैं - ब्रह्मपुत्र, सिन्धु, सतलुज इत्यादि. हिन्दू धर्म में इसे पवित्र माना गया है.
भारतीय संस्कृति मूलतः अरण्य संस्कृति रही है, अरण्य अर्थात् वन. जन्म से ही मनुष्य का नाता प्रकृति से जुड़ा जाता है. इसी कारण प्रकृति की आराधना तथा पर्यावरण का संरक्षण करना हमारा पुरातन भारतीय चिंतन है. प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व की भावना से युक्त जीवन व्यतीत करने वाले वैदिक ऋषियों ने प्राकृतिक शक्तियों-वसुंधरा, सूर्य, वायु, जल आदि की भावपूर्ण स्तुति की है.
भगवान शंकर का साक्षात रूप महाराज दत्तात्रेय में मिलता है और तीनो ईश्वरीय शक्तियों से समाहित महाराज दत्तात्रेय की आराधना बहुत ही सफल और जल्दी से फल देने वाली है. महाराज दत्तात्रेय आजन्म ब्रह्मचारी, अवधूत और दिगम्बर रहे थे. वे सर्वव्यापी हैं और किसी प्रकार के संकट में बहुत जल्दी से भक्त की सुध लेने वाले हैं. अगर मानसिक, या कर्म से या वाणी से महाराज दत्तात्रेय की उपासना की जाए तो भक्त किसी भी कठिनाई से बहुत जल्दी दूर हो जाते हैं.
प्रकृति, पुरुष के स्वरुप के साथ ईश्वर के अस्तित्व को मिलाकर मनुष्य जीवन की आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक उन्नति के लिये दर्शन का एक बड़ा व्यावहारिक और मनोवैज्ञानिक रुप योगदर्शन में प्रस्तुत किया गया है. इसका प्रारम्भ पतञ्जलि मुनि के योगसूत्रों से होता है. योगसूत्रों की सर्वोत्तम व्याख्या व्यास मुनि द्वारा लिखित व्यासभाष्य में प्राप्त होती है.
रामायण के एक प्रमुख पात्र राजा बालि अपने पराक्रम के लिए जाने जाते थे. कहा जाता था कि बालि सूर्योदय से पहले ही पूर्व, पश्चिम और दक्षिण के सागर की परिक्रमा करके उत्तर तक घूम आता है. बालि बड़े-बड़े पर्वतों पर तुरंत ही चढ़ जाता है और बलपूर्वक शिखरों को उठा लेता है. इसके अलावा उनके बारे में कहा जाता है कि उसने रावण को अपनी बगल में दबाया था. अंगद को खास शिक्षा भी दी थी.
प्रकृति स्वयं को विभिन्न रंगों में अभिव्यक्त करती है और व्यक्ति प्रकृति के इन्हीं रंगों के माध्यम से अपनी संवेदनाओं, भावनाओं, एवं पसंद को अभिव्यक्त करता है. रंग अपनी ओजस्विता एवं प्रकाश द्वारा मानव मस्तिष्क एवं शरीर को प्रभावित करते हैं. सफेद - यह रंग पवित्रता, शुद्धता, शांति, विद्या, नीति एवं सभ्यता का प्रतीक है.
भगवान शिव के कई नाम हैं. उनके कई रूप हैं. भोलेनाथ, शिवशंकर, के अलावा इनका एक और नाम है पशुपतिनाथ. क्या है इस नाम के पीछे की कहानी. क्यों इन्हें कहा जाता है पशुपतिनाथ.
होली का त्योहार तरह तरह के रंगों से जीवन को रंगने मौका देता है. इस दिन को लोग सब कुछ भेदभाव को भूलाकर प्यार के साथ मनाते हैं. लेकिन इस त्योहार का रंगों के अलावा भी कुछ और मतलब है. केवल रंगों से खेलना ही इस पर्व का मुख्य उद्देश्य नहीं है.