नई दिल्ली. वेद प्राचीन भारत के वैदिक काल की वाचिक परम्परा की अनुपम कृति है जो पीढी दर पीढी पिछले चार-पांच हज़ार वर्षों से चली आ रही है. वेद ही हिन्दू धर्म के सर्वोच्च और सर्वोपरि धर्मग्रन्थ हैं. वेद के असल मन्त्र भाग को संहिता कहते हैं. वेदों में सर्वप्रथम ऋग्वेद का निर्माण हुआ. यह […]
नई दिल्ली. भारत में वेदों के बाद सर्वाधिक मान्यता और प्रचलन ‘मनुस्मृति’ का है.
नई दिल्ली. हमारी प्राचीन संस्कृति को अगर एक ही शब्द में समेटना हो तो वह है यज्ञ. ‘यज्ञ’ शब्द संस्कृत की यज् धातु से बना हुआ है जिसका अर्थ होता है दान, देवपूजन एवं संगतिकरण. यज्ञ स्वयं के लिए नहीं किया जाता है बल्कि सम्पूर्ण विश्व के कल्याण के लिए किया जाता है. यज्ञ का […]
नई दिल्ली. पूजा में कलश स्थापन से लेकर आरती तक की अपनी उपयोगिता है. स्थापित कलश में माना जाता है कि कलश के अंदर खाली स्थान में शिव का वास होता है, जोकि पूजन के दौरान शिव से एकाकार होने में सहायक होता है.
नई दिल्ली. पुरुषार्थ, दो शब्द पुरुष और अर्थ से मिलकर बना है. इसका अर्थ यह निकाला जाता है कि मानव को ‘क्या’ प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए. हिन्दू धर्म में पुरुषार्थ से तात्पर्य मानव के लक्ष्य या उद्देश्य से है. प्रायः मनुष्य के लिए वेदों में चार पुरुषार्थों का नाम लिया गया है – […]
नई दिल्ली. हिन्दू धर्म के अनुसार जहां-जहां सती देवी के शरीर के अंग गिरे, वहां-वहां शक्ति पीठ बन गईं.
नई दिल्ली. ‘ऊं अक्षर ऐसा है जिसे बोलने से मुख तो मीठा होता ही है, इंसान के अंदर एक जागृति भी पैदा होती है. उसमें दैवीय गुण का असर नजर आने लगता है. इंडिया न्यूज में आध्यात्मिक गुरु पवन सिन्हा ने बताते हैं कि ‘ऊं’ शांति से जुड़ा है. (जानिए ऊं से क्या-क्या है जुड़ा…)
इंडिया न्यूज़ के विशेष शो 'भारत पर्व' में आज अध्यात्मिक गुरु पवन सिन्हा ने बताया कि रुद्राक्ष ही एक फल है जो अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष प्रदान करने में प्रभावित माना जाता है. शिवपुराण, पद्मपुराण, रुद्राक्षकल्प, रुद्राक्ष महात्म्य आदि विशेष ग्रंथों में रुद्राक्ष की अपार महिमा है.
नई दिल्ली. जब भी हम किसी देवता का पूजन करते हैं तो पूजा का सबसे ख़ास हिस्सा दीपक यानी दीया होता है.
नई दिल्ली. मंदिरों में आपने नारियल और मिठाईयों का तो प्रसाद देखा होगा लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में ऐसे मंदिर भी है जहां प्रसाद के रुप में चॉकलेट चढ़ाए जाते हैं.