ऐसा कोइ भी पदार्थ जो कार्बोहाइड्रेट, जल तथा प्रोटीन से बना हो और जीव जगत द्वारा ग्रहण किया जा सके, उसे भोजन कहते हैं. जीव न केवल जीवित रहने के लिए बल्कि स्वस्थ और सक्रिय जीवन बिताने के लिए भोजन करते हैं. भोजन में अनेक पोषक तत्व होते हैं जो शरीर का विकास करते हैं, उसे स्वस्थ रखते हैं और शक्ति प्रदान करते हैं.
सुंदर दिखने के लिये स्त्रियाँ कई तरह के सौंदर्य-प्रसाधन उपयोग करती हैं. औरतों के सजने-सँवरने को श्रृंगार कहते हैं. मौका अगर विवाह का हो तो औरतें 16 श्रृंगारों में सजी दिखना चाहती है.
मंदिर ध्यान लगाने या प्रार्थना करने के लिए होते थे. मंदिर के स्तंभों या दीवारों पर ही मूर्तियां बनाई जाती थीं ताकि मंदिरों में शांति से पूजा-पाठ हो सके. मंदिर निर्माण एक जटिल विज्ञान है, और मंदिर के आकार से लेकर, इसके वास्तु और यहां रखी गई मूर्ति में साम्य बिठाना ही पड़ता है.
भारतीय धर्म और संस्कृति में नारियल का बहुत महत्व है. नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है. मंदिर में नारियल फोड़ना या चढ़ाने का रिवाज है.
आधुनिक युग में योग का महत्व बढ़ गया है. इसके बढ़ने का कारण व्यस्तता और मन की व्यग्रता है.
हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी माना जाता है इसलिए हनुमान जी लंगोट धारण किए हर मंदिर और तस्वीरों में अकेले दिखते हैं
शिव और पार्वती से संबंधित एक कथा के अनुसार हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान शिव से हो जाये पर शिवजी अपनी तपस्या में लीन थे.
र माता-पिता का सपना होता है की उसका बच्चा अभिमन्यु की तरह दिमाग का तेज और गुणवान हो. लेकिन यह इतना आसान नहीं होता इसके लिए माता पिता को बहुत मेहनत और दृढ़ निश्चय की जरूरत है.
गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड का पाठ अक्सर शुभ कार्यों की शुरुआत से पहले किया जाता है. सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का कांड है. इंडिया न्यूज शो भारत पर्व में आध्यात्मिक गुरु पवन सिन्हा बताते हैं कि सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती है.
नई दिल्ली. हमारे धर्म ग्रंथ में ग्रहण को लेकर बहुत सी नियम बताए गए है. लेकिन हर नियम को मानना आसान नहीं है क्योंकि बहुत से नियम घर में करना संभव नहीं होता. चंद्र ग्रहण हो या सूर्य ग्रहण लोगों की इससे जुड़े सवाल जैसे ग्रहण के समय भोजन क्यों न करें, ग्रहण के बाद […]